फाइल- 12- राजपुर में 21942 हेक्टेयर में की जाएगी धान की खेती समय पर आया मानसून खेती की तैयारी में लगे किसान
राजपुर में 21942 हेक्टेयर में की जाएगी धान की खेती
4 जुलाई- फोटो- 15- खेत में रोपनी किया गया धान का पौधा राजपुर. प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में इस बार 21942 हेक्टेयर भूमि में धान की खेती की जाएगी. पिछले दो वर्षों से समय पर मॉनसून नहीं आने से प्रखंड क्षेत्र में धान की खेती प्रभावित हो गयी थी. पिछली बार धान की खेती की गयी थी.पानी के अभाव में अधिकतर खेत परती रह गया था.फिर भी फसल की अच्छी पैदावार को देख कृषि विभाग ने इस बार अपना लक्ष्य बढ़ा दिया है. लक्ष्य के अनुरूप किसानों ने अपने खेतों में बिचड़ा भी डाल रखा है.मॉनसून की वर्षा होते ही धान की रोपनी शुरू कर दी गयी है. मौसम विभाग के तरफ से जारी निर्देश को देख इस बार कृषि विभाग ने भी अपनी तैयारी पहले ही कर लिया था. इसलिए समय पर किसानों को धान का बीज उपलब्ध करा दिया गया. किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए पंचायतों में चौपाल लगाकर जानकारी दी जा रही है. समय पर किसान अपने खेती का काम करें. इसके लिए जागरूक कर जानकारी दिया जा रहा है कि किसान बदलते मौसम एवं जलवायु को देखते हुए अपने फसलों को लगाए. इस बार भी किसानों ने कई ऐसी धान की प्रजातियों को अपने खेत में लगाने का प्लान बनाया है. जिससे समय पर पैदावार हो एवं अगली फसल के लिए खेत तैयार हो सके. फिलहाल कृषि विभाग किसानों को धान की पैदावार को बढ़ाने एवं उसे पूरी तरह से स्वस्थ पैदा करने के लिए जैविक खेती करने का सलाह दे रहे हैं. अगर किसान अपने खेतों में जैविक खाद एवं जैविक दवाइयों का उपयोग कर खेती करें तो खेतों में उत्पादित अनाज भी भारत के अलावा कई अन्य देशों में अनाज को भेजा जाएगा. खाद्य पदार्थों में मिलावट एवं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को लेकर जैविक खाद्य पदार्थों की मांग काफी बढ़ गयी है. ऐसे में किसानों को जैविक खाद का इस्तेमाल करना होगा. पिछली बार ही किसानों को जैविक खाद उपयोग करने का सलाह दिया गया. बावजूद यूरिया खाद के लिए किसानों को कतार में खड़ा होना पड़ा. इस बार भी किसान को सलाह दिया जा रहा है कि यूरिया के साथ नैनो यूरिया का भी उपयोग जरूर करें. इस बार अधिकतर किसानों ने हरी चादर योजना के तहत खेतों को जैविक एवं पोषक युक्त बनाने के लिए ढैंचा की खेती किया है. प्रगतिशील किसान मिथिलेश पासवान ,मनोज कुमार ने बताया कि हरी खाद से रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा.अन्य किसानों को भी इस विधि को अपनाने की जरूरत है.
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