डुमरांव . अनुमंडल अस्पताल में डीएम अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर प्रतिदिन अलग-अलग पदाधिकारियों द्वारा जांच हो रहा है. जिसमें अक्सर कोई न कोई व्यवस्था में कमी देखने को मिली. कभी रोस्टर के अनुसार डॉक्टर नहीं, कभी साफ-सफाई व्यवस्था में कमी सहित अन्य व्यवस्थाओं में कमी जांच के दौरान मिली. मंगलवार को अस्पताल में रोस्टर के अनुसार बच्चा का डाक्टर नदारद थे. अस्पताल में परिजन अपने बच्चे के इलाज को लेकर पहुंचे थे, लेकिन उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा. ड्यूटी पर डाॅ शिव कुमार चौधरी, डाॅ सुमित सौरभ, डाॅ प्रेमा कुमारी, पीटी अजय कुमार मौजूद रहें. डीएम के जारी पत्र के अनुसार संभवतः सोमवार व मंगलवार को अस्पताल निरीक्षण का कार्य मिला है. सोमवार को एक डाक्टर साहब रोस्टर के अनुसार नदारद रहे. निरीक्षण के दौरान तीन डाक्टर ओपीडी में मिलें. बच्चा के डाक्टर के लिए ओपीडी जरूर बनाया गया है, लेकिन डाक्टर साहब कभी ओपीडी में, कभी हड्डी रोग विशेषज्ञ के कक्ष में, कभी डाक्टर शयनकक्ष में मिलेते है. अस्पताल परिसर स्थित अल्ट्रासाउंड कक्ष के सामने बच्चे के डाक्टर को बैठने के लिए ओपीडी बना है, लेकिन इसका ताला कभी खुला नहीं. डाक्टरों का कहना है कि दरवाजा के अलावा खिड़की नहीं है. बात चाहे जो भी हो अस्पताल में दो बच्चे का डाक्टर कार्यरत हैं. लेकिन बच्चे के मरीज अस्पताल में पहुंच भटकते हैं. अधिकारियों द्वारा लगातार अस्पताल प्रबंधन से बायोमैट्रिक हाजीरी का प्रिंट आउट मंगाते जरूर है. लेकिन अस्पताल की व्यवस्था आखिर कब तक सुधरेगी, अपने आप में बड़ा सवाल है. सिजेरियन शुरू, लेकिन अभी तक विभाग द्वारा दबाव के बाद अब तक मात्र दो सिजेरियन ऑपरेशन हुआ है. दोनों सिजेरियन में लंबा अंतराल है. स्थानीय लोग का अनुमंडल, जिला प्रशासन व बिहार सरकार से एक ही सवाल है, आखिर कब तक अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार होगा. अस्पताल में प्रतिदिन उच्च अधिकारियों द्वारा जांच किया जा रहा है. बावजूद इस तरह का व्यवस्था कई सवाल को जन्म देता है. सरकारी अस्पताल में अधिकतर गरीब परिवार के लोग जाते हैं. लेकिन ऐसी व्यवस्था से उन्हें निजी नर्सिंग होम में जाकर मानसिक व आर्थिक रूप से शोषण होना पड़ता है. इस बाबत बच्चें के डाक्टर नहीं रहने के सवाल पर एसडीओ राकेश कुमार ने कहां कि अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ गिरीश कुमार सिंह से इस संबध में बात करते हैं.
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