भगवान के जयघोष के बीच कलश के साथ निकली शोभायात्रा
शहर के रामरेखाघाट स्थित श्री रामेश्वर नाथ मंदिर में सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित 16 वें धर्मायोजन को लेकर शनिवार को कलश के साथ शोभायात्रा निकाली गयी.
बक्सर. शहर के रामरेखाघाट स्थित श्री रामेश्वर नाथ मंदिर में सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा आयोजित 16 वें धर्मायोजन को लेकर शनिवार को कलश के साथ शोभायात्रा निकाली गई. गाजे-बाजे के बीच निकली शोभायात्रा में श्री लक्ष्मी नारायण भगवान व जय श्रीराम के जयघोष गूंज रहे थे. धर्मायोजन के तहत श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं श्रीराम कथा का कार्यक्रम 30 जून तक चलेगा. शोभा यात्रा श्री रामेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण से निकलकर पीपरपांती रोड के रास्ते मुनीम चौक होते हुए अस्पताल रोड पहुंची. जहां से मेन रोड के रास्ते यमुना चौक, सत्यदेव गंज सब्जी मंडी व मॉडल थाना चौराहा होते हुए रामरेखा घाट लौट गई. इसके बाद वहां वैदिक विधि-विधान के साथ कलश में पतित पावनी गंगा से जलाहरण किया गया और यज्ञ मंडप में कलश को विश्राम दिया गया. शाम को 4:00 बजे से प्रवचन का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ. इस क्रम में संत सम्मेलन, व्यास गद्दी पूजन तथा श्री राम की अद्भुत दिव्य कथा का संगीतमय गायन आचार्य श्रीकृष्णानंद पौराणिक जी द्वारा किया गया. श्री पौराणिक जी के मार्गदर्शन में विगत वर्षों की भांति समिति के 16 वें धर्मायोजन का श्रीगणेश हुआ. पौराणिक जी ने बताया कि सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा संकल्पित 18 पुराण कथा सह लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की श्रृंखला के 16 वें धर्मायोजन के तहत अवध धाम में श्रीराम जन्म गर्भ गृह में श्रीराम लाल की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में 9 दिवसीय श्रीराम कथा सुनाई जाएगी. मानव के संपूर्ण विधाओं का चरित्र चित्रण है श्रीराम कथा : पौराणिक जी बक्सर. श्रीरामेश्वर नाथ मंदिर में आयोजित 16 वें धर्मायोजन के पहले दिन शनिवार को श्रीराम कथा का शुभारंभ करते हुए आचार्य श्रीकृष्णानंद जी पौराणिक ने कहा कि भगवान विष्णु के अनन्त अवतारों में श्रीराम अवतार एक ऐसा अवतार है जो संपूर्ण जगत में मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में विख्यात है. श्रीराम के अतिरिक्त ईश्वर का कोई भी ऐसा अवतार नहीं है जिसमें मानव के संपूर्ण विधाओं का चरित्र चित्रण किया गया हो. श्रीराम ही एक ऐसा पुरुष हैं जिनकी कथा वेद पुराण एवं धर्म शास्त्रों में मुक्त कंठ से वर्णित है. बाल्मीकि रामायण का जिक्र करते हुए महाराज श्री ने कहा कि यह सृष्टि का प्रथम काव्य है. जिसमें श्री राम के चरित्र अतुलनीय वर्णन किया गया है. कथा को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि श्री नारायण का राम के रूप में अवतार का एक मुख्य कारण है मानव समाज को मानवता का प्रशिक्षण करना. मूल रूप से शास्त्रों में बड़ी स्पष्टता से कहा गया है कि वेद द्वारा जिसका संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करना संभव है. जो वेद से जाने जा सकते हैं. वह परमात्मा जब दशरथ के यहां नर रूप में श्रीराम नाम से अवतरित हुए तब वेद ने स्वयं ही रामायण के रूप में अवतार लेकर श्री राम के संपूर्ण चरित्र का वर्णन किया. नारायण को रामायण में दशरथ नंदन मर्यादा पुरुष के रूप में प्रतिपादित किया गया है. श्री राम का जीवन संपूर्ण मानव मूल्यों से भरपूर है. मानव के प्रत्येक रूप एवं संबंध जितना उन्नत एवं उत्कर्ष चरित्र का वर्णन है वह समस्त मानव के लिए सर्वदा अनुकरणीय है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है