राजपुर के किसान खेतों में उगायेंगे ढैंचा, जैविक होगा फसल का उत्पादन
प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में इस बार भी 21942 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की जाएगी. इससे पहले इन खेतों को हरा-भरा कर जैविक बनाने के लिए किसान अपने खेतों में ढैंचा को उगाकर खेत की पैदावार अधिक करेंगे
राजपुर. प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में इस बार भी 21942 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की जाएगी. इससे पहले इन खेतों को हरा-भरा कर जैविक बनाने के लिए किसान अपने खेतों में ढैंचा को उगाकर खेत की पैदावार अधिक करेंगे. कृषि विभाग के तरफ से किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन एवं मौसम में हो रहे बदलाव से फसलों पर रासायनिक खादों का बुरा प्रभाव पड़ रहा है. खेतों में उत्पादित अनाज जैविक नहीं होने से इसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जिसको लेकर हरी चादर योजना के तहत किसानों को ढैंचा का बीज उपलब्ध कराया जा रहा है.बीज को मानसून की पहली बारिश होते ही खेतों में छिड़काव कर उसे पूरी तरह से हरा भरा बनायेंगे.महज कुछ ही दिनों में यह हरी घास पूरे खेतों में फैल कर लहलहाएगी जो प्राकृतिक रूप से खेतों को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराएगा. धान का बिचड़ा तैयार होने पर रोपनी से चार दिन पहले इन पौधों की जुताई कर खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ देंगे. इन खेतों में धान की रोपाई होने से किसानों को अपने खेत में किसी भी रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करना पड़ेगा.जिसको लेकर कृषि विभाग ने किसानों को पहले से ही जागरूक करना शुरू कर दिया है.कृषि समन्वयक संजय कुमार ने बताया कि कृषि विभाग के तरफ से किसानों को धान की पैदावार को बढ़ाने एवं उसे पूरी तरह से स्वस्थ पैदा करने के लिए जैविक खेती करने का सलाह दिया जा रहा हैं. अगर किसान अपने खेतों में जैविक खाद एवं जैविक दवाइयों का उपयोग कर खेती करें तो खेतों में उत्पादित अनाज भी भारत के अलावा कई अन्य देशों में अनाज को भेजा जाएगा. खाद्य पदार्थों में मिलावट एवं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव को लेकर जैविक खाद्य पदार्थों की मांग काफी बढ़ गयी है. ऐसे में किसानों को जैविक खाद का इस्तेमाल करना होगा.पिछली बार अधिकतर किसानों ने हरी चादर योजना के तहत खेतों को जैविक एवं पोषक युक्त बनाने के लिए ढैंचा की खेती किया था. जिसका किसानों को अच्छा लाभ मिला था. इस बार भी किसान अपने खेतों में ढैंचा उगाकर पैदावार को जरूर बढ़ाये.
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