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बीत गया रोहिणी नक्षत्र नहीं आया नहरों में पानी

इलाके के किसानों के चेहरे पर मायूसी है क्यों कि रोहिणी नक्षत्र का समय अब बीत चुका है

डुमरांव. इलाके के किसानों के चेहरे पर मायूसी है क्यों कि रोहिणी नक्षत्र का समय अब बीत चुका है. इलाके के किसानों को उम्मीद था कि रोहिणी नक्षत्र के आखिरी समय तक बारिश हो जाएगी लेकिन ऐसा हुआ नही, परेशान किसानों का कहना है कि रोहिणी नक्षत्र में विश्वास था कि कि अगर बारिश का साथ नहीं मिला तो नहरों में तो पानी आएगा ही. लेकिन ना तो बारिश हुई और ना ही नहरों में पानी आया, इस हालत में किसानों के चेहरे काफी मायूस दिख रहे हैं किसानों का कहना है कि रोहिणी नक्षत्र में खेतों में डाले गए धान के बीज काफी बेहतर होते हैं उनमें किट मकोड़े का प्रभाव नहीं होता है नहरों में पानी आने को लेकर किसानों के बीच उत्सुकता थी की हर हाल में रोहिणी नक्षत्र के दौरान किसानों को नहर से पानी मिलेगा और धान के बिचड़े डाल दिए जाऐंगे. पर मौसम और नहर का साथ नही मिलने के चलते इलाके के किसानों परेशान होना पड़ रहा है. कभी होती थी काव नदी के पानी से सिचाई प्रखंड के कचैनिया गांव के किसान सह समाजसेवी धर्मेंद्र पांडेय, जगन्नाथ पांडेय, केशरी सुवन पांडेय, विजय पांडेय, कन्हैया पांडेय ने बताया कि जब कभी भी किसानों को खेती के सिंचाई में पानी की समस्या होती थी तो यहां के काव नदी के पानी से कोरानसराय सहित इस काव नदी से जुड़े किसानों के फसलों की सिचाई का काम हो जाता था परंतु वर्षों से किसानों को सिचाईं के लिए वरदान साबित होने वाला यह काव नदी अब विलूप्त होने के कगार पर है. जब कि काव नदी में पानी नहीं होने से यहां के किसानों को अपनी खेती को लेकर हर साल पानी की समस्या से जूझना पड़ता है. कभी नही आता रजवाहा में पानी किसान धर्मेंद्र पांडेय ने बताया कि कचैनिया गांव के किसान रामपुर-आथर रजवाहा से जुड़े हुए हैं. लेकिन इस रजवाहा में कभी भी पानी आता हीं नहीं है. जिसके चलते किसानों को भारी परेशानियों के बीच अपने निजी ट्यूबवेल के सहारे हीं खेती करनी पड़ती है और किसानों को खेती करने में आर्थिक परेशानी उठानी पड़ती है. किसानों का कहना है कि अभी तक बारिश नहीं होने के चलते किसानों को रात-दिन एक करके निजी ट्यूबवेल के सहारे बिचड़ा डालना पडे़गा, किसानों को नहरों में पानी नही आने और बारिश नही होने के चलते धान की खेती में समस्या उठानी पड़ेगी. इस हालत में किसानों को निजी ट्यूबवेल के सहारे ही से ही खेती करनी पड़ेगी.

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