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अंचल में कार्यालय में रजिस्टर टू के फटने से रैयतों को हो रही परेशानी

जिले में विशेष सर्व को लेकर एक अगस्त से प्रचार प्रसार शुरू होने के बाद रैयतों के बीच अपने कागजात सुधार कराने को लेकर अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है

By Prabhat Khabar News Desk | October 6, 2024 9:53 PM

बक्सर. जिले में विशेष सर्व को लेकर एक अगस्त से प्रचार प्रसार शुरू होने के बाद रैयतों के बीच अपने कागजात सुधार कराने को लेकर अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. खतियान में नाम गलती रकबा और अन्य कुछ सुधार को लेकर भूमि राजस्व विभाग के वेबसाइट परिमार्जन प्लस पर भू स्वामी आवेदन कर रहे हैं. लेकिन अधिकांश आवेदन रजिस्टर टू फट जाने के कारण रैयतों को वापस कर दिया जा रहा है. जिससे आये दिन भू स्वामी का अंचल कार्यालय लगाना पड़ रहा है. राजस्व कर्मचारी को माने तो खतियान ब्रिटिश सरकार के शासनकाल में 1907 से लेकर 1910 के बीच कैडस्ट्रल सर्वे खतियान बनाया गया था. जो कि अत्यधिक पुराने होने के कारण बहुत से रजिस्टर टू फट गया है. ऐसे में परिमार्जन प्लस पर आए आवेदन को निष्पादन करना मुश्किल हो जाता है. रजिस्टर-टू से फटे हैं पन्ने, नहीं मिल रहा पुराना खतियान, खतरे में रैयतों की पुश्तैनी जमीन : भूमि सर्वेक्षण-24 को लागू तो कर दिया, लेकिन अब सरकार के लिए ही यह गले की फांस बनते जा रहा है. आपाधापी में शुरू हुए इस अभियान ने जिले के गांव में भूचाल मचा रखा है. रैयत और सरकार दोनों के पास पूरे कागज नहीं हैं. रैयत सरकार से और सरकार रैयत से जमीन के कागजात मांग रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि न खतियान का नकल मिल रहा है, न रजिस्टर-2 ही सही सलामत है. रजिस्टर-2 के कई पन्ने गायब मिल रहे हैं. सबसे मुश्किल बेलगामी जमीन रखने वाले रैयतों को हो रही है. उनके पास न खतियान है, न रजिस्टर-2 का पन्ना और क्योंकि उस जमीन का बंदोबस्ती रसीद नहीं होता है. ऐसे में उनके पास वो भी नहीं है. व्यवस्था के खिलाफ एकजुट हो रहे रैयत : जिले में हजारों एकड़ ऐसी जमीन है जिनके कागजात न तो रैयत के पास है और न ही सरकार के पास. खतियान या अन्य कागजात लेने पहुंचे लोगों को बताया जा रहा है कि रजिस्टर-2 क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जो बचा है वह आधा-अधूरा और कटे- फटे स्थिति में हैं. जिले के अंदर बड़ी संख्या में लोगों के नाम जमाबंदी और रकवा का परिमार्जन, दाखिल-खारिज लंबित हैं. पुराने कागजात कैथी भाषा में रहने के कारण कोई समझने और समझाने वाला नहीं मिल रहा है. जमाबंदी के कागजात में प्लॉट नंबर है तो चौहद्दी और रकवा नहीं चढ़ा है. सर्वे शुरू हुआ तो अंचल कार्यालय में मनमानी बढ़ गयी है. रजिस्टर टू में खाता खोजने के नाम पर हो रहा है अवैध वसूली : अगर किसी रैयत का ऑनलाइन नाम गलत हो गया या रकबा कम दिखा रहा है व खाता ऑनलाइन नहीं चढ़ा है तो रैयत भूमि सुधार विभाग के वेबसाइट पर परिमार्जन प्लस पर आवेदन करते हैं. उस आवेदन को राजस्व कर्मचारियों के द्वारा रजिस्टर टू से मिलाया जाता है उसके बाद वह आवेदन राजस्व अधिकारी व अंचल अधिकारी के लॉगिन आइडी पर भेजा जाता है. लेकिन राजस्व कर्मचारियों के मुंशी के द्वारा रजिस्टर टू खोजने के नाम पर रैयतों से मनमानी ढंग से पैसा लिया जाता है. जबकि रजिस्टर टू खोज कर मिलान करना राजस्व कर्मचारी का काम है. क्या है रजिस्टर टू : 1907 के ब्रिटिश सरकार के सर्वे के दौरान रजिस्टर टू बनाया गया था. वही रजिस्टर टू आज तक चला आ रहा है. रजिस्टर टू को जमाबंदी पंजी 2 भी कहा जाता है. इस प्रणाली के ज़रिए, बिहार सरकार भूमि से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करती है और उसका प्रबंधन करती है.रजिस्टर शब्द के कई मतलब होते हैं, लेकिन सबसे आम मतलब है आधिकारिक रूप से लिखना या रिकॉर्ड करना. आम तौर पर, रजिस्टर में किसी घटना, लेन-देन, नाम, या अन्य जानकारी को रिकॉर्ड किया जाता है. रजिस्टर में पिछली घटनाएं, लेन-देन, नाम, या अन्य जानकारी शामिल होती है.

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