बक्सर . सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन एवं लोहिया स्वच्छता बिहार योजना के तहत जिला के 136 पंचायतों में से 128 पंचायतों में करोड़ों रुपये की लागत से अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई यानी डब्ल्यूपीयू जिले में मुखिया की लापरवाही से दम तोड़ रहा है. वही जिले के आठ पंचायत को नजदीकी पंचायत के डब्ल्यूपीयू से टेग कर दिया गया है. इस योजना के तहत सफाई कर्मियों को एक साल तक डब्ल्यूपीयू के मद से वेतन का भुगतान करना था. एक साल 15 वां वित्त आयोग के तहत पंचायतों के मुखिया को वेतन भुगतान करने की जवाबदेही सौंपी गयी है. मगर 15 वां वित्त आयोग से भुगतान करने के लेकर मुखिया के द्वारा योजना वित्तीय वर्ष 23-24 में योजना नहीं चढाया गया था. ताकि भुगतान किया जा सके. जिसके वजह से स्वच्छता कमी व स्वच्छता पर्यवेक्षक का मानदेय का भुगतान किया जा सके. मगर मुखिया की लूटखसोट के चलते सफाई कर्मियों का वेतन नहीं मिल रहा है. मामला कमीशन से जुड़ा है. हालांकि इस बाबत उप विकास आयुक्त ने डॉ महेंद्र पाल ने कहा कि मुखिया को पत्र भेजा गया है. वेतन नहीं दिये जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई किया जाऐगा. निर्माण पर लगभग सात लाख रुपये से लेकर 8 लाख रुपये खर्च किया गया है. उसके बाद लाखों रुपये के लागत से पंचायत में डस्टबिन, फॉग मशीन, इ रिक्शा व अन्य सामग्रियों की खरीदारी किया गया था ताकि पंचायतों का शहर के तर्ज पर साफ सफाई हो सके. लेकिन डब्ल्यूपीयू का निर्माण कार्य होने के बाद जिला के इक्का-दुक्का प्रखंड की पंचायतों को छोड़कर अन्य पंचायत के इकाई में खाद बनाने का कार्य नहीं हो रहा है. न ही उन पंचायतों में सफाई का कार्य हो रहा है. सदर प्रखंड के कईपंचायतों में हालत तो यह है कि वेतन नहीं मिलने के कारण सफाई कर्मियों ने काम छोड़ दिया है. जिसके कारण गांव और सड़कों की सफाई नहीं होने के साथ-साथ कचरा का भी संग्रह नहीं हो रहा है. सड़कों पर पहले की तरह कचरे का ढेर लगना शुरू हो गया है, वहीं बरसात का मौसम होने से गांव की नालियां भी बजबजा गई है, लेकिन उसका सफाई नहीं हो रहा है. करोड़ों का बना डब्ल्यूपीयू उपयोग नहीं होने से महज शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. कचरे से तैयार खाद सस्ते दर पर किसानों को होगा उपलब्ध : सरकार की महत्वाकांक्षी योजना लोहिया स्वच्छ बिहार के तहत गांव के निकलने वाले कचरों डब्ल्यूपीयू के अलग-अलग चेंबर में रखने के लिए अलग-अलग चेंबर बनाया गया है, ताकि उस कचरा से खाद बनाया जा सके. चेंबर में प्लास्टिक, सूखा कचरा, गीला कचरा, शीशे की बोतल को अलग-अलग कर चैंबर के माध्यम से रखे जाने की तैयारी थी. जहां कचरा से तैयार खाद को किसानों को सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने की योजना थी. जो कचरा गलने लायक नहीं है, उसे कबाड़ी के हाथों बेचकर पंचायत के विकास कार्य में राशि को लगाये जाने का प्रावधान था. जिससे गांव में विकास की गति मिलने के साथ-साथ लोगों को रोजगार दिलाने का योजना तैयार किया जा सके, किंतु जिले के एक दो पंचायत छोड़ कर कहीं भी डब्ल्यूपीयू का उपयोग नहीं किया जा रहा है. अगर डब्ल्यूपीयू में पंचायत के कचड़ा से खाद बनाया जाता तो पंचायत के किसानों को जैविक खाद कम दर आसानी से उपलब्ध हो पाता. दुर्गापूजा में भी स्वच्छताकर्मियों को नहीं मिला मानदेय : शहर के तर्ज पर तो गांव व पंचायत के साफ सफाई रखने के लिए स्वच्छता पर्यवेक्षक व स्वच्छता कमी का स्वच्छ भारत मिशन व लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत नियुक्ति तो कर दिया गया लेकिन किसी पंचायत में आठ माह का मानदेय बकाया है तो किसी पंचायत के एक साल का वेतन बकाया है ऐसे में पंचायत के स्वच्छता कमी व स्वच्छता पर्यवेक्षक के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है . इसका जिमेवार मुखिया और पंचायत सचिव है क्योंकि इन सभी का मानदेय का भुगतान 15वीं वित्त के टाइट फंड से करना है लेकिन मुखिया और पंचायत सचिव के लापरवाही के वजह से 15वीं के योजना में इसका चयन नहीं करने के वजह से मानदेय का भुगतान नही हो पा रहा है. इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी साधु शरण पांडे ने बताया कि सदर प्रखंड के सभी स्वच्छता कमी व स्वच्छता पर्यवेक्षक का बकाया मानदेय का भुगतान दीपावली पूजा तक कर दिया जाऐगा. जिसको लेकर प्रखंड के सभी मुखिया व पंचायत सेवक को प्रतिदिन समीक्षा किया जाता है ताकि दिपावली पुजा तक भुगतान कर दिया जाये. क्या कहते हैं जिला समन्वयक जिले के 128 पंचायत में तो अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई का निर्माण तो हो गया लेकिन अभी तक 115 में काम शुरू कर दिया गया है सभी अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाई में सामग्री तो उपलब्ध करा दिया गया है कुछ पंचायत में दशहरा जैसे त्योहार पर कुछ पंचायत में काम शुरू कर दिया गया है शेष पंचायत में जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा स्वच्छता कमी व स्वच्छता पर्यवेक्षक मानदेय भुगतान के लिए सभी प्रखंड समन्वयक व प्रखंड विकास पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि शीघ्र ही मुखिया व पंचायत सचिव से समन्वय स्थापित करते हुए भुगतान कराना सुनिश्चित करें. प्रदीप कुमार स्वच्छ भारत मिशन जिला समन्वयक
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