Buxar News : फूल-पत्तियों से सजे आकर्षक मंडप में श्रीराम की हुईं सीता,

Buxar News: नयी बाजार में पूज्य संत श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्यस्मृति में आयोजित होने वाले 55वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के नौ वें दिन प्रभु श्रीराम व जनक नंदिनी सीता का विवाह हुआ.

By Prabhat Khabar News Desk | December 6, 2024 10:26 PM

बक्सर

. नयी बाजार में पूज्य संत श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्यस्मृति में आयोजित होने वाले 55वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के नौ वें दिन प्रभु श्रीराम व जनक नंदिनी सीता का विवाह हुआ. प्रभु श्रीराम व मां जानकी के पाणिग्रहण संस्कार की साक्षी बनने के लिए लोग सुबह से ही पहुंचने लगे थे और उनके आने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा. आलम यह हुआ कि शाम होते ही महोत्सव स्थल का विशाल पंडाल दर्शकों से खचाखच भर गया. जिसमें तिल रखने तक की जगह नहीं थी. इससे पहले पंडाल के बीचोंबीच बने विवाह मंडप को सजाने-संवारने का कार्य दिन भर चला. फूल व पत्तियों से सजे विवाह मंडप की शोभा देखते ही बन रही थी.

नवाह्न परायण यज्ञ की हुई पूर्णाहूति

सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम परिसर स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर में प्रात:काल नौ दिनों से चल रहे श्री रामचरितमानस का नवाह्न पारायण पाठ का समापन किया गया. इसके बाद हवन-पूजन कर पूर्णाहूति की गई. इसी तरह मध्य प्रदेश के दमोह की संकीर्तन मंडली द्वारा आयोजित अखंड अष्टयाम श्री हरि नाम संकीर्तन का समापन किया गया.वही नौ दिवसीय श्री बाल्मीकिय रामायण कथा का समापन भी हो गया.

भगवत प्राप्ति का मार्ग है वाल्मीकिय रामायण :

विद्या भास्कर जी सियपिय महोत्सव में चल रहे श्रीमद् वाल्मीकि रामायण कथा में व्यास पीठ से बोलते हुए श्रीधाम अयोध्या के कौशलेश सदन के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर जी महाराज ने कहा कि श्रीमद् वाल्मीकि रामायण का पारायण भगवान की प्राप्ति का मार्ग है. कथा के अंतिम दिन महाराज श्री ने कहा कि आचार्यें का मानना है कि श्रीमद् वाल्मीकि रामायण के 108 पारायण से भगवान की प्राप्ति निश्चत है. प्रेम का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि प्रेम समर्पण का परिणाम है. क्योंकि दुनिया में कुछ भी प्राप्त करना प्रेम अर्थात समर्पण और त्याग से ही संभव है. प्रेम मान सम्मान नहीं चाहता है. जब तक मान सम्मान की आकांक्षा रहेगी तब तक प्रेम नहीं हो सकता. मैं हूं इसका अभियान और खुन के सम्मान की आकांक्षा हमें पतन की ओर धकेलती है. इष्ट व आराध्य की प्रसन्नता उनके प्रति आकांक्षा रहित प्रेम से ही होता है.

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