संसाधन के अभाव में टूट रही खेल की प्रतिभा
प्रखंड के कई हुनरमंद खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के बल पर राज्य स्तरीय गोल्ड मेडल के अलावा अन्य प्रतियोगी खेलों में भाग लेकर अपना परचम लहरा रहे हैं
राजपुर . प्रखंड के कई हुनरमंद खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के बल पर राज्य स्तरीय गोल्ड मेडल के अलावा अन्य प्रतियोगी खेलों में भाग लेकर अपना परचम लहरा रहे हैं. जिले में खेल के लिए आउटडोर स्टेडियम, खेल के कोच एवं आर्थिक संसाधनों की कमी की वजह से उनकी प्रतिभा टूट रही है. खिलाड़ियों को डर सता रहा है कि आने वाले दिनों में कही खेल को ही अलविदा ना कहना पड़े. अभी हाल ही में बीते 8 अगस्त को राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल प्राप्त कर चुके पलिया गांव के तीरंदाज खिलाड़ी आशीष कुमार ने बताया कि अपने जिले में इस खेल के लिए कोई आउटडोर स्टेडियम नहीं है. अभ्यास करने के लिए वह पंजाब के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में दाखिला लेकर अभ्यास करते हैं. खेल के आयोजन के समय वह आकर इसमें हिस्सा लेते हैं. अपने दम पर प्रतिभा को दिखाते हैं. इसने बताया कि मेहनत के अनुसार फल नहीं मिलता. हमारे यहां संसाधनों का अभाव होने से तैयारी अच्छी नहीं हो पाती. ट्रेनिंग सेंटर भी सीमित मात्रा में ही है, जो सही तरीके से नहीं हो पाती. अगर सरकार जितना मेडल जीतकर आने वाले खिलाड़ियों पर ध्यान देती है. उतना ही ध्यान तैयारी करने वाले खिलाड़ियों पर दे तो अपना राज्य भी आगे हो जायेगा. राष्ट्रीय स्तर पर गेम खेलने से कुछ नई चीज मिलती हैं. जो हमारे यहां ट्रेनिंग सेंटर पर उपलब्ध नहीं रहती है. तीर धनुष की खरीद के लिए लगभग तीन लाख रुपये तक खर्च आता है. जो बड़ी मुश्किल से ही परिवार वाले व्यवस्था कर पाते हैं. तैयारी से लेकर राज्य स्तरीय खेल तक अपने ही खर्च से जाना पड़ता है. इसके लिए सरकार कोई खर्च नहीं देती. हम लोग यहां जमीन पर प्रैक्टिस करते हैं. तीर धनुष की खरीद के लिए लगभग तीन लाख रुपये तक खर्च आता है. जो बड़ी मुश्किल से ही परिवार वाले व्यवस्था कर पाते हैं. अगर हमें बेहतर कोच के साथ संसाधन मिले तो ओलंपिक पदक भी ला सकते हैं.
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