सूखने लगा तालाब पोखरा का पानी, दस फुट नीचे खिसका भूमिगत जलस्तर
प्रखंड के विभिन्न जगहों पर बने तालाब पोखर का पानी अब धीरे-धीरे सूखने लगा है. पिछले कई दिनों से तापमान में हो रही वृद्धि से इन तालाब पोखरो का पानी तेजी से सुख रहा है
राजपुर. प्रखंड के विभिन्न जगहों पर बने तालाब पोखर का पानी अब धीरे-धीरे सूखने लगा है. पिछले कई दिनों से तापमान में हो रही वृद्धि से इन तालाब पोखरो का पानी तेजी से सुख रहा है. इससे गांव का पानी भी दस फुट नीचे खिसक गया है. सामान्य चापाकल पूरी तरह से बंद हो गए हैं. गांव के ग्रामीणों के अनुसार सभी गांव में लगभग पांच से आठ बड़े बड़े तलाब पोखरा था. जो बदलते समय के साथ धीरे-धीरे समाप्त हो गया है. कुछ गांव में पुराने तालाब शेष बचे हुए हैं. जिन तालाबों को जिंदा करने के लिए सरकार ने पिछले कई वर्षों से जल जीवन हरियाली मिशन योजना की शुरुआत की है.जिस योजना मद से कई तालाबों का जीर्णोद्धार भी किया गया है.देवढिया पंचायत के विशाल सैंथू का पोखरा, खीरी का प्राचीन ऐतिहासिक पोखरा, राजपुर का विशाल पोखरा जिसमें वर्ष भर पानी भरा रहता था. इन तालाबों पर भी संकट मंडराने लगा है. वर्ष 2022 में भीषण सूखे की चपेट में आने के बाद भूमिगत जल स्तर काफी नीचे हो गया था. कुछ वर्षा होने के बाद इन तालाबों में पानी को भरा गया था. इस बार शीतकालीन मौसम में वर्षा नहीं होने पर इन पोखरो में भरे पानी से खेतों की सिंचाई कर दिए जाने से इस बार भी समय से पहले ही पोखरा का पानी सूखने लगा है. ऐसे में जंगली जीव भी पानी के लिए दर-दर भटकना शुरू कर दिए हैं. शाम ढलते ही हिरण, सियार, जंगली घोड़ा, नीलगाय के अलावा कई अन्य जीव पानी की तलाश में गांव के नजदीक पहुंच रहे हैं. जिसमें कई छोटे जानवर भागने के दौरान घायल हो जाते है. जबकि राजपुर पश्चिमी क्षेत्र का इलाका काले हिरणों के लिए जाना जाता है. जिस क्षेत्र को वन विभाग के तरफ से संरक्षित भी घोषित किया गया है. फिर भी इन जानवरों के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं की गयी है. नहर का पानी भी पूरी तरह से सूख गया है. अगर इन जानवरों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं होती है तो यह जानवर तस्करों का शिकार हो सकते हैं.अभी यह जानवर बोरिंग के पास जाकर प्यास बुझा रहे हैं.