विकास में भेदभाव का शिकार बना डुमरांव स्टेशन

नौ करोड़ रुपये वार्षिक राजस्व के वाबजूद भी स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है

By Prabhat Khabar News Desk | July 17, 2024 9:59 PM

डुमरांव. माल महाराज का, मिर्जा खेले होली जी हां यह मुहावरा पूर्व मध्य रेलवे दानापुर रेल मंडल के प्रमुख स्टेशन डुमरांव के साथ पूरी तरह चरितार्थ हो रहा है. लगभग नौ करोड़ रुपये वार्षिक राजस्व के वाबजूद भी स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है. आलम यह है कि स्टेशन पर मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. बक्सर व आरा के बीच का सबसे महत्वपूर्ण स्टेशन डुमरांव आज रेलवे की उपेक्षा तथा जनप्रतिनिधियों के उदासीनता का दंश झेल रहा है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण लगभग आठ सौ मीटर लंबे प्लेटफॉर्म पर शौचालय, तो दूर एक यूरिनल तक उपलब्ध नहीं है. सबसे बड़ी समस्या स्टेशन पर पेयजल की है. एक तरफ जहां भारत सरकार एवं रेल मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ रेलवे को इतना राजस्व देने के बावजूद भी स्टेशन पर साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल, महिला-पुरुष शौचालय और यूरिनल का न होना स्वच्छ भारत अभियान की हकीकत को बयां करता है. टिकट काउंटर के बाहर दिव्यांग के लिए शौचालय बना जरूर है, लेकिन बदहाल पड़ा है. सात प्रखंड के यात्रियों का डुमरांव स्टेशन से लगभग दस से पंद्रह हजार यात्रियों का आवागमन होता है. वही एकमात्र बिना शेड ओवरब्रिज से करीब दस हजार यात्री प्लेटफार्म से आवागमन करते हैं. सबसे अधिक बरसात के दिनों में यात्रियों को परेशानी होती है. ट्रेन पकड़ने के लिए हो रहें बारिश के दौरान भींग कर जाना पड़ता है. डुमरांव स्टेशन अमृत भारत योजना में शामिल हैं, लेकिन इसका कछुआ के चाल में चल रहा है. स्थानीय लोग के जेहन में यही सवाल उठता है, आखिर कब तक यह योजना का कार्य पूरा होगा. यहां रेलवे द्वारा डुमरांव स्टेशन पर बिस्मिल्लाह खां की शहनाई की धुन हमेशा बजते रहना है. लेकिन कभी कभार अचानक सुनने को मिलते है. टिकट काउंटर हाल में उनका विशालकाय तैल्य चित्र बनाया गया है. यात्री यात्री कल्याण समिति के राजीव रंजन सिंह ने बताया कि रेलवे व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते स्टेशन पर असुविधा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version