बक्सर . विशेष सर्वेक्षण को लेकर आये दिन सैकड़ों की संख्या में लोग खतियान के लिए जिले के रिकॉर्ड रूम पर प्रतिदिन आते हैं लेकिन निराश हो कर लौट जाते हैं. हां यह जरूर है कि कर्मचारियों की कमी से लोगों की खतियान नहीं मिल पा रहा है. हालांकि विशेष सर्वेक्षण में खतियान अगर आपके पास नहीं है तो घबराने की आवश्यकता नहीं है.आपकी तमाम जमीनों के खतियान जिले के रिकॉर्ड रूम में उपलब्ध है.आपको वहां पहुंच कर रिकॉर्ड रूम के बड़ा बाबू से संपर्क करना है. उनके सहयोग से अपनी जमीनों का खाता, खेसरा और थाना नंबर देकर चिरकूट फार्म करना है.फिर दस्तावेज मिल जाएगा. लेकिन विभाग के वेबसाइट पर डाटा कम उपलब्ध व स्टाफ की कमी के कारण आम लोग को प्रतिदिन निराशा होकर जाना पड़ता है. जिले में बीते एक अगस्त को ग्रामीण इलाकों में जमीन सर्वे का काम शुरू हुआ.जिले के 1142 गांवों में सर्वे की प्रक्रिया जारी है.जमीन पर हक जताने के लिए सर्वे कर्मी जमीन धारकों से आवश्यक दस्तावेज की मांग कर रहे हैं. जिनमें जमीन का खतियान महत्वपूर्ण कागज है.अगर आपकी जमीन पुस्तैनी है जो आपको अपने पिता, चाचा, दादा जैसे पारिवारिक संबंधियों से हासिल हुआ है तो खतियान पेश करना आवश्यक है. इसी से आपकी जमीन पर आप अपना मालिकाना हक साबित कर सकते है. जमीन सर्वे को लेकर लोग अपनी पुश्तैनी जमीन के खतियान की नकल के लिए जिला राजस्व एवं अभिलेखागार कार्यालय में दौड़ लगाना शुरू कर दिया है.इसे हासिल करने में जमीन धारकों के पसीने छूट रहे हैं.इन दिनों सभी जिलों के अंचल कार्यालय में भी भीड़ देखी जा रही है.रिकार्ड रूम में रखे गए खतियान की प्राप्ति के लिए जिला रिकार्ड रूम में लोग वहां तैनात कर्मियों से गुहार लगाते हैं. कैसे हासिल करें खतियान : आपकी पैतृक जमीन का खतियान अगर आपके पास नहीं है तो घबराने की आवश्यकता नहीं है.आपकी तमाम जमीनों के खतियान जिले के रिकॉर्ड रूम में उपलब्ध है.आपको वहां पहुंच कर रिकॉर्ड रूम के बड़ा बाबू से संपर्क करना है.उनके सहयोग से अपनी जमीनों का खाता, खेसरा और थाना नंबर देकर चिरकूट फार्म करना है.चिरकूट में दर्ज खाता खेसरा से कर्मी आपकी जमीन का खतियान खोज देंगे. जिसका पक्का नकल आपको उपलब्ध करा दिया जाएगा.इन दिनों खतियान की कॉपी निकालवाने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोग चिरकूट फार्म कर रहें. रिकॉर्ड रूम में उमड़ी भीड़ : हालांकि खतियान की कॉपी हासिल करने में इतनी भीड़ इन दिनों लगी है कि काफी परेशानी हो रही है। जमीन सर्वे के टेंशन में लोगों की नींद उड़ गई है.कार्यालय के खुलते ही लोगों की भीड़ गेट पर जमा हो जा रही है.निबंधन कार्यालय व जिला अभिलेखागार से कागजात निकालने के लिए जुटी भीड़ में बहुत सारे चेहरे ऐसे नजर आ रहे हैं जो किसान या गरीब हैं.उनका दोहन भी किया जा रहा है.सूचना मिलने पर दूसरे राज्यों में रह रहे युवा भी अपना जॉब छोड़कर भागे-भागे आ रहे हैं.मौखिक रूप से पुस्तैनी बंटवारा के आधार पर ही जमीन जोतते आ रहे लोग इस सर्वे में अपनी स्पष्ट हिस्सेदारी करा लेना चाह रहे हैं .कई ऐसे लोग हैं जिनकी जमीन की जमाबंदी पिता या दादा के नाम पर न होकर निकट पट्टीदार के नाम पर ही रह गया है. अब उस जमीन पर मालिकाना हक साबित करने के लिए लोगों को वंशावली के अलावा अमीन शिड्यूल, मृत पिता या दादा की मृत्यु प्रमाणपत्र व नया-पुराना सर्वे खतियान निकलवाना है.इन सभी में हजारों रुपए खर्च किये जा रहे हैं.आगे उन्हें और भी खर्च करने होंगे.जमीन सर्वे की सूचना का प्रचार-प्रसार होते ही लोगों की बेचैनी बढ़ गई है. कागजातों की खोजबीन अचानक बढ़ी : दरअसल, जिला रजिस्ट्री कार्यालय एवं समाहरणालय के रिकॉर्ड रूम अभिलेखागार में रखे गये पुरखों के केवाला के कागजात साथ ही खतियानी जमीन के रजिस्टर्ड दस्तावेज की खोजबीन इन दिनों बढ़ गयी है.जिले के सभी निबंधन कार्यालयों के रिकॉर्ड रूम में दस्तावेजों की खोजबीन के सर्टिफाइड कॉपी लेने वालों की भीड़ बढ़ने लगी है.विभागीय सूत्रों की माने तो रजिस्ट्री ऑफिस रोजाना करीब सौ नये और पुराने दस्तावेजों के लिऐ लोग आ रहे हैं.
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