संवाददाता, राजपुर
प्रखंड की सभी 19 पंचायतों में स्वच्छता अभियान की गति धीमी हो गयी है. विभाग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार पिछले कई महीने से कचरा प्रसंस्करण इकाई का निर्माण किया जा रहा है, जहां सभी ठोस एवं तरल कचरे को अलग-अलग रखना है. इसके निर्माण के लिए राशि निर्गत होने के बाद भी रसेन एवं देवढिया पंचायत में अभी तक जमीन नहीं मिल पायी है. शेष अन्य पंचायत में निर्माण का कार्य चल रहा है. पिछले कई महीनों से राशि का अभाव होने से इसके कार्य में कमी हो गयी है. कचरे का नियमित उठाव नहीं हो रहा है. स्वच्छता मिशन टू अभियान के तहत 15 पंचायतों में कचरा उठाव का भी काम शुरू कर दिया गया है, जिसके लिए स्वच्छताग्रही की भी नियुक्ति की गयी है, जिन्हें प्रत्येक वार्ड के लिए एक ठेला गाड़ी एवं एक इ-रिक्शा भी दिया गया है. घर-घर जाकर सूखे एवं गीले कचरे का उठाव कर कचरा प्रबंधन हाउस में इकट्ठा करना है. अभियान के शुरुआती दौर में आमजनों के बीच जागरूकता पैदा कर गांव को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया गया, जिसका असर गांव में भी दिख रहा है. गांव के लोग भी अब साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. कचरा प्रबंधन के लिए लगभग आठ पंचायतों में कचरा प्रबंधन हाउस भी बनकर तैयार हो गया है, जहां विभिन्न प्रकार के कचरों को अलग-अलग जगहों पर रखा गया है. अभी तक पुनः निस्तारण के लिए इन कचरों को दूसरी जगह पर नहीं भेजा गया है. कई महीनों से काम कर रहे स्वच्छताकर्मियों को भी वेतन नहीं मिल रहा है. ऐसे में कार्य की गति बहुत धीमी हो गयी है. सरकार की तरफ से चयनित पंचायत में कचरा उठाव के लिए प्रति घर से ₹30 प्रतिमाह स्वच्छता शुल्क भी लेना था. यह शुल्क महज कुछ ही पंचायत में लिया जा रहा है. अन्य पंचायतों में इसकी वसूली का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है. ग्रीन एवं क्लीन पंचायत बनाने के लिए सरकार पूरी तरह से संकल्पित है.लोगों को किया जा रहा जागरूक
स्वच्छता अभियान को गति देने के लिए सभी पंचायत के मुखियाओं से आग्रह किया गया है कि स्वच्छता कर्मियों के माध्यम से प्रत्येक घर से स्वच्छता शुल्क लेना सुनिश्चित करें एवं स्वच्छता अभियान को गति दें. इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है.रूपेश कुमार सिंह, प्रखंड स्वच्छता समन्वयक
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