ईद-उल-अजहा : अमन-चैन की दुआ के लिए एक साथ उठे हजारों हाथ
जिला मुख्यालय स्थित शहर समेत जिले भर में सोमवार को कुर्बानी व बलिदान का त्योहार ईद-उल-अजहा अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया. मौके पर ईदगाहों व मस्जिदों में विशेष नमाज अदा कर मुल्क में अमन व चैन की दुआएं मांगी गयी. इसके बाद अकीदतमंद आपस में गले मिलकर एक-दूसरे को ईद-उल-अजहा यानि बकरीद की मुबारकवाद दिये और घर लौटकर बकरे की कुर्बानी दी.
बक्सर. जिला मुख्यालय स्थित शहर समेत जिले भर में सोमवार को कुर्बानी व बलिदान का त्योहार ईद-उल-अजहा अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया. मौके पर ईदगाहों व मस्जिदों में विशेष नमाज अदा कर मुल्क में अमन व चैन की दुआएं मांगी गयी. इसके बाद अकीदतमंद आपस में गले मिलकर एक-दूसरे को ईद-उल-अजहा यानि बकरीद की मुबारकवाद दिये और घर लौटकर बकरे की कुर्बानी दी. ईद-उल-अजहा का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने धू-अल हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाया जाता है. इस दिन बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा है. सो इसे बकरीद या बकरा ईद के नाम से भी जाना जाता है. नमाज अदा करने के लिए लकदक सफेद लिबास में मजहबी अल सुबह मस्जिदों में पहुंचे और पारंपरिक तरीके से सामूहिक नमाज अदा की. शहर की बड़ी मस्जिद, कचहरी मस्जिद व जुलफजल मस्जिद, नयी बाजार मस्जिद समेत अन्य मस्जिदों एवं ईदगाहों में नमाज अदा की गयी. नमाज के बाद घर लौटकर अकीदतमंदों ने कुर्बानी दी और उसे तीन हिस्सों में बांटकर दोस्त, रिश्तेदार व मजलूमों के बीच वितरित किया. इस्लामिक मान्यता के अनुसार पैगंबर हजरत इब्राहिम ने कुर्बानी की प्रथा शुरू की. पैगंबर साहब से ने अल्लाह की राह में अपने सबसे प्यारे व इकलौते बेटे की कुर्बानी दी. हालांकि पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी को ज्योंही हथियार उठाये अल्लाह ने अपने दूत को भेजकर बेटे की जगह पर बकरे खड़े कर दिये. बकरीद पर्व को लेकर जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. इसके तहत सभी मस्जिदों व ईदगाहों के पास दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी के साथ जिला बल के जवान मुस्तैद थे. इसके अलावा आलाधिकारी मस्जिदों का भ्रमण कर वहां की गतिविधियों का जायजा ले रहे थे. लिहाजा जिले भर में यह पर्व आपसी मिल्लत व सौहार्द के साथ संपन्न हो गया.
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