हत्या के मामले में दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास
हत्या के मामले में नामजद अभियुक्त राधेश्याम कोहार व श्याम सुंदर कोहार को हत्या के मामले में सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी
बक्सर कोर्ट. राजपुर थाना कांड संख्या 301/ 2020 एवं सेशन ट्रायल 195 / 2021 में नामजद अभियुक्त राधेश्याम कोहार एवं श्याम सुंदर कोहार को हत्या के मामले में सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी. न्यायालय ने अभियुक्तों पर अलग-अलग दफाओं में अर्थ दंड भी लगाया है. जिसे नहीं देने पर अतिरिक्त समय जेल में गुजारने होंगे. बताते चले कि कोर्ट ने पिछले दिनों दोनों अभियुक्तों को अलग-अलग दफाओं में दोषी पाया था तथा सजा के बिंदु पर फैसला सुरक्षित रखा था जिसे शनिवार को सुनाया गया .उक्त फैसला अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश 11 रघुवीर प्रसाद ने सुनाया. इस आशय की जानकारी देते हुए अपर लोक अभियोजक शेषनाथ सिंह ने बताया कि 13 /14 दिसंबर 2020 की रात में राजपुर थाना के पलिया गांव का रहने वाला लगभग 20 वर्षीय गुल मोहम्मद के पुत्र को उसी गांव के रहने वाले राधेश्याम कोहार एवं श्याम सुंदर कोहार ने दावत के बहाने अपने घर पर बुलाया था जहां उसके साथ अभियुक्तों ने जमकर मारपीट किया तथा जख्मी अवस्था में उसके पिता गुल मोहम्मद को सूचना दिया कि उसका बेटा जख्मी हो गया है जब पीड़ित के परिवार घटनास्थल पर पहुंचे तो देखा कि उनका पुत्र को ब्राह्मी से मारकर जख्मी कर दिया गया है मारपीट कर जख्मी कर दिया गया है जिसे इलाज के लिए राजपुर स्वास्थ्य केंद्र ले जाने लगे लेकिन जाने के क्रम में रास्ते में ही उसकी मौत हो गई . वही अभियुक्तों ने पुलिस को बताया था कि मृतक घर में दीवार फांदकर महिलाओं का आभूषण छीन कर भागने के क्रम में जख्मी हो गया है लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके पेट और पीठ पर मारपीट का निशान पाया गया था. शनिवार को सजा के बिंदु पर फैसला सुनाए जाने से पूर्व बचाव पक्ष की अधिवक्ता ने न्यायालय से निवेदन किया कि अभियुक्तों को कम से कम सजा सुनाया जाए वही सरकार की ओर से बहस कर रहे अपर लोक अभियोजक शेषनाथ सिंह ने कहा कि हत्या एक जघन्य अपराध है तथा ऐसे मामलों में आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा न्याय हित में है. न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अभियुक्तों को भारतीय दंड विधान की धारा 302 के तहत सश्रम आजीवन कारावास व 20-20 हजार रुपए का अर्थ दंड लगाया जिसे नहीं देने पर तीन माह अतिरिक्त जेल में गुजारने होंगे, वहीं भारतीय दंड विधान की धारा 148 के तहत 3 वर्ष का आश्रम कारावास और दो-दो हजार रूपए का अर्थदंड लगाया,137 के तहत 2 वर्ष का कारावास एवं दो 2–2 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया, धारा 341 के तहत एक माह का कारावास एवं 5– 5 सौ रुपए का अर्थदंड तथा धारा 342 के तहत 2 माह का साधारण कारावास एवं 1–1 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है जिसे नहीं देने पर आदेशित समय जेल में बिताने होंगे. सभी सजा साथ-साथ चलेगी. अभियोजन कार्यालय द्वारा उक्त मामले को स्पीडी ट्रायल अंतर्गत रखा गया था.
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