दो दिवसीय कृषि यांत्रिकीकरण मेला का हुआ शुभारंभ
दर प्रखंड स्थित संयुक्त कृषि भवन परिसर में कृषि विभाग द्वारा दो दिवसीय कृषि यांत्रिकीकरण मेला का आयोजन किया गया है
फाइल-19- उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि हेतु कृषि यंत्रों का प्रयोग महत्वपूर्ण : जिला पदाधिकारी जिले में सर्वाधित तापमान के कारणों में पराली जलाना भी है शामिल फोटो-21- कृषि मेला का दीप जलाकर उद्घाटन करते डीएम व अन्य फोटो-22- स्टॉल का निरीक्षण करते जिला पदाधिकारी व अन्य बक्सर. सदर प्रखंड स्थित संयुक्त कृषि भवन परिसर में कृषि विभाग द्वारा दो दिवसीय कृषि यांत्रिकीकरण मेला का आयोजन किया गया है. मेला का शुभारंभ जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल, जिला कृषि पदाधिकारी अविनाश शंकर व केवीके बक्सर के वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रमुख डाॅ देवकरण द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया गया. वहीं मंच संचालन अमान अहमद ने की. किसानों को संबोधित करते हुए जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने कहा कि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु कृषि यंत्रों का प्रयोग महत्वपूर्ण है. इस वर्ष बक्सर जिला में 47 से 48 डिग्री तक सर्वाधिक तापमान का आकलन किया गया है, जो आने वाली भावी पीढ़ियों के लिए खतरे की घंटी है. इस सर्वाधिक तापमान के प्रमुख कारणों में पराली जलाना भी शामिल है. इस दृष्टिकोण में मुख्यमंत्री पराली प्रबंधन को लेकर काफी सजग हैं. इस दिशा में पराली प्रबंधन के लिए कृषि यांत्रिकरण योजना अंतर्गत हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, स्ट्रा रीपर इत्यादि यंत्रों पर आकर्षक अनुदान दिया जा रहा है. किसान इन यंत्रों का प्रयोग कर पराली प्रबंधन करें अन्यथा पराली जलाने वाले किसानों पर कड़ी कार्रवाई भी की जायेगी. आगे उन्होंने कहा कि लघु, छोटे व बटाईदार किसानों के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर बेहतर विकल्प है. जिला कृषि पदाधिकारी अविनाश शंकर ने बताया कि कृषि यांत्रिकीकरण मेला का मुख्य उदेश्य एक स्थान पर प्रमुख कृषि यंत्रों का प्रदर्शन कर इसके महत्वों से अवगत कराना है. आगे उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा बुवाई से लेकर कटाई तक में प्रयोग होने वाले पचहतर प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है. इच्छुक किसान संबंधित पंचायत के कृषि समन्वयक से संपर्क कर इसका लाभ उठा सकते हैं. सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण – सह – उप निदेशक कृषि अभियंत्रण, भूमि संरक्षण बक्सर आशीष कुमार ने बताया कि कृषि यांत्रिकरण योजना अंतर्गत इस वर्ष 40 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान हैं. यह भी बताया गया कि बीस हजार से कम मूल्य के यंत्रों पर एलपीसी की बाध्यता समाप्त कर दी गई है. बीस हजार से अधिक के मूल्य वाले यंत्रों पर एलपीसी अनिवार्य होगा. कृषक विक्रेता से अनुदान काट का यंत्र क्रय कर सकेंगे. उन्होंने मैनुअल किट पर चर्चा करते हुए बताया कि किसानों के दैनिक प्रयोग में होने वाले यंत्र यथा खुरपी, हसुआ, कुदाल इत्यादि यंत्रों के किट पर अस्सी प्रतिशत अनुदान के साथ दो सौ रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है. कस्टम हयरिंग सेंटर के तहत किसान को दस लाख मूल्य के यंत्रों पर चार लाख रुपये का अनुदान तथा समूह में आवेदन करने पर आठ लाख रुपये का अनुदान का प्रावधान है. फसल अवेशेष प्रबंधन हेतु स्पेशल कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना पर 20 लाख लागत के यंत्रो पर 80 प्रतिशत अनुदान अधिकतम 12 लाख हैं. कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक-सह-प्रधान डाॅ देवकरण ने खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली फसलों के प्रबंधन पर प्रकाश डाला. सहायक निदेशक रसायन ने मिटटी जांच पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी. मेला में आत्मा उद्यान, भूमि संरक्षण, पौधा संरक्षण सहित अनेक सरकारी एवं निजी प्रतिष्ठानों द्वारा स्टाॅल भी लगाया गया है. मौके पर सहायक निदेशक शस्य-सह-अनुमंडल कृषि पदाधिकारी बक्सर शेखर किशोर, उप परियोजना निदेशक आत्मा बेबी कुमारी, सहायक निदेशक उद्यान किरण भारती, सहायक निदेशक भूमि संरक्षण संजू लता, बीएओ, कृषि समन्वयक, बीटीएम, एटीएम, किसान सलाहकार सहित विभागीय कर्मी संजय कुमार श्रीवास्तव, रघुकुल तिलक के अलावे अनेक किसान उपस्थित थे. उक्त मेला आगामी 10 जुलाई को भी आयोजित रहेगा.
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