राजपुर. प्रखंड के सभी 19 पंचायतों में भूमि सर्वेक्षण के लिए सूचना जारी होते ही ग्रामीणों में अपनी जमीन तलाशने की होड़ मच गयी है. पिछले कई वर्षों से जो जिस जमीन पर कब्जा किया है. उसी को आधार मन कर लोग खेती-बाड़ी कर रहे हैं. जब जमीन को दुरुस्त करने की बात सामने आयी तो लोगों ने अपने पुराने खतियान एवं अन्य दस्तावेज निकाल कर देखना शुरू कर दिया है. जिसमें कई बड़ी बातें सामने आ रही है. कागजात में छोटी एवं बड़ी गलतियां होने से उसमें सुधार के लिए लोग अब प्रतिदिन अंचल कार्यालय का चक्कर भी लगा रहे हैं. भूमि सर्वेक्षण के लिए सबसे बड़ा काम वंशावली है. जिसके लिए लोग असमंजस में है. भूमि सर्वेक्षण में अपने कागजात को अपडेट करने के जल्दबाजी में जैसे तैसे वंशावली बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. सरकार ने इसकी जिम्मेवारी पंचायत के स्थानीय जनप्रतिनिधि के सत्यापन के बाद प्रथम मजिस्ट्रेट से शपथ के बाद ग्राम सचिव को इसकी जिम्मेदारी सौंपा है. इतनी सख्ती के बाद भी वंशावली बनाने की प्रक्रिया में नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है. सरकार के तरफ से बार-बार आगाह किया जा रहा है कि वंशावली में उस वंश वृक्ष के तहत आने वाले परिवार के सभी पुरुष एवं महिला सदस्यों का नाम अंकित करना अनिवार्य है. बावजूद लोग उस वंशावली में महिला सदस्यों का नाम का जिक्र नहीं कर रहे हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं सरकारी सेवक भी आंख मूंदकर इसे आसानी से पारित कर देते हैं,जो आने वाले दिन के लिए लोगों के लिए एक मुसीबत बन सकता है. अभी भी समय रहते अगर लोग सचेत नहीं होते हैं तो भूमि सर्वेक्षण में जमा कागजात के बाद गलत वंशावली मान्य नहीं होगा. हालांकि इस वंशावली प्रक्रिया को लेकर अभी भी अधिकारियों ने अपनी चुप्पी साध रखी है.
दिल्ली, सूरत से वापस घर आ रहे मजदूर :
परिवार की रोजी-रोटी एवं माली हालत सुधारने के लिए अपनों से दूर रह रहे मजदूरों के बीच भी बेचैनी बढ़ गयी है. अपने पुरखों का घर या खेती-बाड़ी की शेष जमीन का सर्वेक्षण करने के लिए समाचार सुनते ही वापस गांव की ओर लौट रहे हैं. वह अभी बरसों से जिस जमीन के बारे में जानते नहीं थे. वह उसकी जानकारी लेने में जुट गए हैं. सबसे बड़ी बात है कि जो लोग विगत 15 से 20 वर्षों से बाहर रहकर काम कर रहे हैं. उन्हें अपने पुरखों की जमीन तलाश में पसीना छूट रहा है. जिस जमीन का कागज उनके पास है. वह किसी और के कब्जे में है जो इनके लिए काफी मुसीबत सा बन गया है.क्या बोले अधिकारीभूमि सर्वेक्षण के लिए सरकार के तरफ से जारी दिशा निर्देश के अनुसार स्वयं शपथ के साथ ही वंशावली जमा करना है. अगर कोई कानूनी रूप से वंशावली के लिए आवेदन कर रहे हैं तो उसमें बेटियों का नाम होना आवश्यक है अन्यथा वह वंशावली रद्द समझ जायेगा. साथ ही सभी ग्राम कचहरी के सरपंच एवं अन्यजन प्रतिनिधि को भी सुझाव है कि वह जांच परख कर ही वंशावली निर्गत करें.
सिद्धार्थ कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, राजपुरडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है