लैब में 11 पैरामीटर पर की जाती है पानी की जांच
जो पानी हम पी रहे हैं. वह कितना साफ है, कहीं गैस, शरीर में दर्द जैसी बीमारियां पानी के वजह से तो नहीं. शुरू से जिलावासी बगैर किसी टेस्टिंग के पानी पी रहे
बक्सर. जो पानी हम पी रहे हैं. वह कितना साफ है, कहीं गैस, शरीर में दर्द जैसी बीमारियां पानी के वजह से तो नहीं. शुरू से जिलावासी बगैर किसी टेस्टिंग के पानी पी रहे हैं. पानी की जांच कराने को लेकर लोगों में जागरूकता का भी अभाव है. शहर के रामरेखा घाट स्थित पीएचइडी की वाटर टेस्टिंग लैब में प्रतिमाह 300 सैंपल की जांच का लक्ष्य विभाग के द्वारा निर्धारित किया गया है. लक्ष्य को जैसे तैसे पूरा किया जाता है. आम जागरूकता के अभाव में विभाग को लक्ष्य को पूरा करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. फिलहाल विभाग वाटर टेस्टिंग लैब के बेहतर संचालन पर जोर दे रहा है. वर्तमान में बक्सर स्थित पीएचईडी कार्यालय के लैब में पानी की 11 पैरामीटर पर जांच हो रही है. लोक स्वास्थ्य प्रमंडल विभाग के जिला कार्यालय स्थित जल जांच प्रयोगशाला में नई मशीनें लगाई गई हैं, जिसमें पानी की हर स्तर पर जांच की जा रही है. इस प्रयोगशाला में पानी के सैंपल जिले भर में कहीं से भी भेजे जा सकते हैं किसी भी पानी की जांच यहां आसानी से करा सकते हैं. जिले में दो जल टेस्टिंग लेब कार्यरतः पीएचईडी विभाग के कर्मी ने बताया कि जिले में दो जल टेस्टिंग लैब है. इनमें से एक डुमरांव में सब डिविजन लेब है, वहीं दूसरा बक्सर में जिला जल जांच प्रयोगशाला है. जल की जांच कराने वाले को जल की जांच कराकर दो से तीन दिनों के अंतराल पर रिपोर्ट दे दी जाती है. यहां लैब में जांच की पूरी सुविधा उपलब्ध है. लेकिन सैंपल कलेक्ट करने के लिए दानों अनुमंडलों में केवल एक-एक कमी ही मौजूद है. प्रयोगशाला के शोध सहायक अशोक कुमार चौधरी ने गुणवत्ता पानी के 11 पैरामीटरों को विस्तारपूर्वक बताया है. उनके अनुसार पानी का पीएच 6.5 से 8.5 पीपीएम होना चाहिए. वहीं टीडीएस 500 से 2000 बीच होना चाहिए. इसी तरह पानी की हार्डनस 200 से 600 तक होनी चाहिए. केल्सियम 75 से 200 के बीच होनी चाहिए. फ्लोराइड 250 में 1000 पीपीएम पीने लायक होती है. वहीं अल्कालिनिटी 200 से 600 के बीच होनी चाहिए. इसी तोह आयरन 1.0, सल्फेट 200 से 400. फ्लोराइड 1.0 से 1.5, आसीनक 0.01 पीपीएम और नाइट्रेट आंधकत्तम 45 हानी चाहिए. पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता कुमार अरुप ने दी कि. उन्होंने बताया कि अगर निजी शिक्षण संस्थान या व्यक्तिगत रूप से अपने पानी का जांच कराते हैं तो पानी जांच शुल्क के रूप में 500 रुपये की निर्धारित राशि जमा कराकर जांच करवा सकते हैं.
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