भीषण गर्मी के कारण नदियों व तालाब का पानी सूखे

प्रखंड क्षेत्र में भीषण गर्मी से प्राकृतिक जल स्रोत के सूखने से वन्य प्राणी पानी के लिए भटकने लगे हैं. क्षेत्र में नदी, तालाब व का पानी सूख गए हैं

By Prabhat Khabar News Desk | June 23, 2024 10:26 PM

ब्रह्मपुर. प्रखंड क्षेत्र में भीषण गर्मी से प्राकृतिक जल स्रोत के सूखने से वन्य प्राणी पानी के लिए भटकने लगे हैं. क्षेत्र में नदी, तालाब व का पानी सूख गए हैं. इसके चलते वन्य प्राणियों की परेशानी बढ़ गई है. पानी की तलाश में जंगली जानवर गांव की ओर आने लगे हैं, जिससे गांव में वन्य प्राणी के हमले की आशंका बढ़ गई हैं. वन विभाग द्वारा वाटर होल के का निर्माण न होने से वन्य प्राणियों के लिए पेयजल की समस्या बढ़ने लगी हैं. गर्मी बढ़ने के साथ पेयजल संकट भी गहराने लगा है. शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत लोगों के लिए प्रशासन स्तर पर पानी की वैकल्पिक व्यवस्था जारी है, लेकिन बेजुबान जानवरों की सुध लेने अब तक कोई मुक्कमल व्यवस्था नहीं की जा सकी है. यही कारण है कि क्षेत्र से लगे गांव में जंगली जानवरों की चहल कदमी बढ़ गई है. पानी की तलाश में जानवर भटकते फिर रहे हैं. वन विभाग यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि पोखर के माध्यम से जानवरों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की गई है. जबकि धरातल पर जाकर देखें तो पानी की कोई व्यवस्था ही नहीं है।. बेजुबानों के लिए गर्मी बनी मुसीबत भीषण गर्मी बेजुबान वन्य प्राणियों के लिए मुसीबत लेकर आई है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है नदी, नाले व तालाब सूखते जा रहे हैं. इससे जंगली जानवरों के लिए पीने के पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है. प्रखंड के इलाकों में विभिन्न प्रजाति के वन्य प्राणी मौजूद हैं, जो इन दिनों पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं. केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा जंगली जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन गर्मी के दिनों में जानवरों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था कर पाने में विभाग का सुस्त रवैया जानवरों की जान पर बन आई है. प्रखंड के वन्यप्राणी इस भीषण गर्मी में पानी की तलाश में भटक रहे हैं. पानी की तलाश में वन्यप्राणी आबादी की ओर आ रहे हैं, इससे उनका अवैध शिकार भी हो रहा है. गोकुल जलाशय व धर्मवती नदी के सूखने से जानवरों के हलक भी सूखे वन विभाग में वन्यप्राणियों को पानी उपलब्ध कराने अस्थाई पोखर व पानी टंकी बनाकर टैंकर से पानी संरक्षित करने की योजना है लेकिन अभी तक यह प्रखंड क्षेत्र में कारगार सिद्ध नहीं हो पाया है. जल संरक्षण के लिए तालाबों, के निर्माण पर भारी भरकम रकम खर्च की गई है, लेकिन स्तरहीन निर्माण या उनकी अनुपयोगिता के कारण पानी संरक्षण नहीं हो पा रहा है. गोकुल जलाशय व धर्मवती नदी सूखे पड़े हुए हैं, जिसके कारण ही वन्य जीव आबादी की ओर रूख कर शिकार हो रहे हैं. गोकुल जलाशय भी सूखा, बना खेल का मैदान 25 किमी के दायरे में फैला गोकुल जलाशय भी सूख गया है. जिस कारण जलाशय बच्चों के लिए खेल का मैदान बना हुआ है. जबकि एकीकृत केंद्र प्रायोजित एनटीसीए योजना के तहत वन प्रमंडल आरा अंतर्गत गोकुल जलाशय बक्सर संरक्षण व विकास कार्यों का शिलान्यास 12 मार्च 2024 को किया गया था. जिसके लिये करोड़ों रुपये की राशि सरकार ने आवंटित भी कर दिया है. मगर फिलवक्त जलाशय पूरी तरह सूख गया है. पशु-पक्षियों से हमेश गुलजार रहने वाला जलाशय वीरान नजर आ रहा है. इसमें रहने वाले पशु-पक्षी या तो शिकारियों के गिरफ्त में आकर अपनी जान गवां चुके हैं. या फिर पानी के अभाव में यहां से दूसरे जगहों पर पलायन कर चुके हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version