डुमरांव. लोकसभा चुनाव के लिए 01 जून को मतदान होना है. इसको लेकर शहर से गांव तक युवाओं द्वारा लगातार मतदाताओं को जागरूक करने के लिए मतदाता जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. शुक्रवार को महरौरा गांव में युवाओं ने मतदाता जागरूकता अभियान चलाया. इस दौरान युवाओं ने मतदाताओं के घर-घर जाकर “पहले मतदान फिर जलपान ” का नारा देते हुए लोकतंत्र में उनके वोट के महत्व को बताते हुए लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक जून को अपने-अपने घरो से निकल कर अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने की अपील की. वही जागरूकता अभियान का नेतृत्व करते हुए युवा अजय राय ने ग्रामीणों से एक जागरूक नागरिक का परिचय देते हुए लोकसभा चुनाव के लिए एक जून को “पहले मतदान फिर जलपान ” के नारे को चरितार्थ करते हुए लोकतंत्र की मजबूती व खूबसूरती के लिए अपने-अपने घरो से निकलर अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने का संकल्प दिलाया. मौके पर युवा समाजसेवी मनीष सिंह, शुभम राय, जयराम राम, उपेंद्र गोंड, जीतेन्द्र यादव, लक्ष्मण गोंड, श्री किशोर राम सहित अन्य शामिल थे. राजनीतिक पंडितों की तरह चौपालों पर हो रहा चुनाव का विश्लेषण चक्की. टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया के जरिये चुनावी खबरें लोगों के पास पहुंच रहीं हैं. चक्की, चंदा, भरियार, परसिया, डुमरी, बड़का सिंहनपुरा, हेमदापुर, क्षेत्र के राजनीतिक विश्लेषण करने वाले पंडितों को भी लोग सुन समझ रहें हैं लेकिन इन सब पर गांवों के चौपाल भारी हैं. ग्रामीण मतदाताओं की बातें सटीक इसलिए होतीं हैं क्योंकि वे चुनावी हकीकत को बेहद करीब से देखते हैं. पढ़ाई लिखाई और घूमने से समय निकाल कर युवा भी चुनावी चर्चा में इस समय व्यस्त हैं. हों भी क्यों नहीं, उन्हें अपने भविष्य की तस्वीर नयी सरकार में दिखाई दे रही है. पहली बार मतदान करने वाले युवा पांच साल से अपने पहले मतदान को लेकर बेहद उत्साहित हैं. उधर प्रत्याशी भी चुनावी प्रचार का एक से बढ़कर एक तरीका अपना रहे हैं. युवाओं पर इनका प्रभाव भी पड़ रहा है , पर यह भी सच है कि वे रोजी रोजगार, उच्च शिक्षा, महिला सुरक्षा, शैक्षणिक विकास, तकनीकी ज्ञान और धार्मिक विवाद और बेरोजगारी को खत्म करने वाले प्रत्याशी को ढूंढ रहे हैं. दोपहर की झुलसाती गर्मी में पेड़ की छांव में बैठी पढ़ाई लिखाई करने वाली छात्राओं की चर्चा का केंद्र बिंदु भी ये ही मुद्दे हैं. सेवानिवृत शिक्षक रामाशंकर ओझा , समाजशास्त्री डाक्टर सरोज ओझा एक चौपाल पर कहते है कि ग्रामीण इलाके में ही 75 प्रतिशत मतदाता हैं और यही निर्णायक होंगे.
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