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अर्थव्यवस्था को उबारने में बिहार टॉप 3 में, विधानमंडल में पेश CAG रिपोर्ट में कोरोना के बाद की प्रगति का जिक्र

बिहार विधानमंडल में वित्त मंत्री विजय चौधरी द्वारा पेश की गई सीएजी रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड महामारी के बाद अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से जीवित करने वाले देश के 10 शीर्ष राज्यों में बिहार तीसरे पायदान पर रहा.

पटना. कोविड महामारी के बाद अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से जीवित करने वाले देश के 10 शीर्ष राज्यों में बिहार तीसरे पायदान पर रहा. यह खुलासा बिहार विधानमंडल में पेश सीएजी की रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, बिहार ने पांच वर्षों के दौरान उच्च स्तर पर जीएसडीपी दर्ज की है. वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान केंद्रीय करों के हिस्से और स्वकर राजस्व में वृद्धि के कारण राजस्व प्राप्ति में 30630 करोड रुपए यानी 23.90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. सामाजिक सेवाओं में वृद्धि के कारण राजस्व व्यय में 19727 करोड़ की वृद्धि हुई.

विधानमंडल में वित्त मंत्री ने पेश की सीएजी की रिपोर्ट

राज्य सरकार ने 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान कुल बजट प्रावधान 265396.87 करोड़ के विरुद्ध 19420 2.20 करोड़ यानी 73.17 फीसदी ही खर्च किया. अनुपूरक प्रावधान 47 09 4.17 करोड़ पूरी तरह से बेकार हो गया, क्योंकि वह मूल प्रावधान के स्तर तक भी नहीं था. बिहार विधानमंडल में गुरुवार को वित्त मंत्री विजय चौधरी ने सीएजी की रिपोर्ट पेश की. वित्तीय वर्ष 31 मार्च, 2021 की स्थानीय निकायों और 31 मार्च, 2022 तक वित्तीय प्रबंधन की रिपोर्ट सदन में पेश की गयी. इसमें एक तरफ जहां पंचायती राज संस्थान और नगर निकायों की कार्यप्रणाली और राज्य की वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाया गया है.

25551 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा

सीएजी ने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं ने करीब 25 हजार करोड़ उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिये हैं. वहीं, बजट आकार में लगातार हो रही बढ़ोतरी और उस अनुपात में राशि खर्च नहीं होने पर भी सवाल उठाया है. सीएजी रिपोर्ट के अनुसार 25551 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया है, हालांकि यह घाटा विगत वर्ष की तुलना में 4276 करोड़ रुपए कम है. 2021-22 के दौरान राज्य को 2004-05 के बाद तीसरी बार राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा, जो 422 करोड़ था.

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पटना में कचरा उठाव में नौ करोड़ की हानि

सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, नगर विकास एवं आवास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच मिली 10952 करोड़ के अनुदान की स्वीकृति दी थी. लेकिन मार्च 2022 तक के लिये समायोजन 4984 करोड़ यानी 46% तक उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित थे. पटना नगर निगम द्वारा घर-घर कचरा संग्रहण सेवाएं प्रदान करने के एवज में वसूले जाने वाले उपभोक्ता शुल्क वसूली में विफल होने के कारण निगम को लगभग नौ करोड़ की हानि हुई है.

पंचायती राज संस्थाओं को 42940 करोड़ का अनुदान

वहीं, ऑडिट में यह पाया गया कि पंचायती राज विभाग ने वर्ष 2007-08 से 202-21 के बीच पंचायती राज संस्थाओं को 42940 करोड़ का अनुदान जारी किया था, लेकिन संस्थाओं ने 17917 करोड़ का भी उपयोगिता प्रमाण पत्र ही दिये. यह कुल राशि का 42% ही था. जबकि करीब 25000 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है.

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