पटना. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों ने उस जमीन का भी अर्जन कर मुआवजे में लाखों रुपये का भुगतान कर दिया, जो वास्तव में थी ही नहीं. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (एजी) की रिपोर्ट में जमीन के दस्तावेजों की पुष्टि किये बिना ही अपात्रों को मुआवजा देने खुलासा किया गया है़
एजी ने पटना जिला के पांच ऐसे मामले पकड़े हैं, जिनमें लाभुकों ने मुआवजा की मांग ही नहीं की थी़ इसके बाद भी इनको भुगतान होना दर्शा दिया गया, जबकि वास्तविक रूप से किसी को भुगतान किया ही नहीं गया था़
एजी ने सारण जिला में नेशनल हाइवे 19 और मढ़ौरा डीजल लोकोमॉटिव फैक्टरी के भू- स्वामियों के मुआवजों की जांच में पाया कि छह ऐसे लोगों को 48.05 लाख रुपये का भुगतान किया गया था़ लगान रसीद की सत्यता की जांच किये बिना ही भुगतान कर दिया़
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 जनवरी से लेकर अक्तूबर 2019 के दौरान निबंधित कुल 344020 दस्तावेजों में से 1016 दस्तावेज के नमूनों की जांच की गयी. अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2019 के दौरान पांच मामलों में गड़बड़ी पायी गयी. इससे 4.14 करोड़ कम राजस्व वसूली का मामला सामने आया है. इसके अतिरिक्त बाइस्कोर और डाइस्कोर की लेखा परीक्षा से 31.73 करोड़ की अनियमितता का मामला भी सामने आया है.
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार महादलित विकास मिशन के कई बैंक खातों से फर्जी तरीके से निकासी की गयी है. इसके एक खाते से 14 करोड़ रुपये निकाल कर इसे बंद कर दिया गया. इसके अलावा पांच साल में डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा का यूसी जमा ही नहीं किया गया है. शहर के ही मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की एक शाखा के खाते से 99 लाख 73 हजार रुपये निकाल लिये गये और एकाउंट बैलेंस जीरो कर दिया गया.
Posted by Ashish Jha