Explainer: झारखंड समेत 11 राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों के जिला अस्पतालों में कार्डियक केयर यूनिट नहीं
Prabhat Khabar Explainer: झारखंड, उत्तर प्रदेश, असम, तेलंगाना, त्रिपुरा, सिक्किम, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, दमन एवं दीव और अंडमान एवं निकोबार द्वीप 11 ऐसे राज्य हैं, जहां अब तक किसी जिला में कार्डियक केयर यूनिट की स्थापना नहीं की गयी है.
Prabhat Khabar Explainer: झारखंड समेत देश के चार राज्यों के किसी भी जिला अस्पताल में दिल की बीमारी के इलाज की पुख्ता व्यवस्था नहीं है. यानी जिला अस्पतालों में कार्डियक केयर यूनिट (CCU) नहीं है. वर्ल्ड बैंक (World Bank) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है. नीति आयोग (NITI Aayog) ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है. ‘हेल्दी स्टेट्स प्रोग्रेसिव इंडिया’ (Healthy States Progressive India) रिपोर्ट देश के सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में सुधार की रैंकिंग के आधार पर तैयार की गयी है.
बिहार, उत्तराखंड के जिला अस्पतालों में होता है दिल की बीमारी का इलाज
रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश, असम, झारखंड, तेलंगाना, त्रिपुरा, सिक्किम, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, दमन एवं दीव और अंडमान एवं निकोबार द्वीप 11 ऐसे राज्य हैं, जहां अब तक किसी जिला में कार्डियक केयर यूनिट (CCU) की स्थापना नहीं की गयी है. बिहार और उत्तराखंड ने जिला अस्पतालों में दिल की बीमारी के इलाज की व्यवस्था कर ली है. वर्ष 2015-16 तक इन दोनों राज्यों के जिला अस्पतालों में भी कार्डियक केयर यूनिट नहीं थी. अब उत्तराखंड के 15.4 फीसदी और बिहार के 5.3 फीसदी अस्पतालों में अब दिल की बीमारी का इलाज संभव हो पाया है.
Also Read: बेटियों को जन्म देने में सबसे आगे छत्तीसगढ़, हरियाणा-गुजरात अब भी फिसड्डी
सिक्किम और मिजोरम ने किये सकारात्मक बदलाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे राज्यों में सिक्किम और मिजोरम ने सकारात्मक बदलाव किया है. दिल की बीमारी के इलाज के क्षेत्र में इन राज्यों ने 75 फीसदी से अधिक सुधार कर लिया है. दूसरी तरफ कई राज्यों में इस क्षेत्र में गिरावट देखी गयी है. केंद्रशासित प्रदेशों की बात करें, तो दादरा एवं नगर हवेली, दमन एवं दीव, लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार द्वीप ने जिला अस्पतालों में दिल की बीमारी के इलाज की व्यवस्था करने की न केवल पहल की है, बल्कि 75 से 96 फीसदी तक सफलता भी हासिल कर ली है.
चंडीगढ़ ने हासिल की 200 फीसदी सफलता
राज्य सरकारों की ओर से उपलब्ध करायी गयी रिपोर्ट के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रशासित प्रदेशों में चंडीगढ़ ने 200 फीसदी सफलता हसिल कर ली है, तो दादरा एवं नगर हवेली और लक्षद्वीप ने 100-100 फीसदी लक्ष्य हासिल किये हैं. यानी यहां सभी जिला अस्पतालों में कार्डियक केयर यूनिट की स्थापना कर ली गयी है. पुडुचेरी में पहले 25 फीसदी अस्पतालों में कार्डियक केयर यूनिट थे, अब 50 फीसदी अस्पतालों में हैं.
Also Read: Children Vaccination: झारखंड, केरल, और जम्मू-कश्मीर समेत 6 राज्यों में 100 फीसदी बच्चों का टीकाकरण
दिल्ली के सभी जिला अस्पतालों में नहीं होता हृदय रोग का इलाज
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें, तो यहां अब भी सभी जिला अस्पतालों में कार्डियक केयर यूनिट की स्थापना नहीं हो पायी है. उल्टे इसमें कमी आयी है. वर्ष 2015-16 में दिल्ली के 90.9 फीसदी जिला अस्पतालों में दिल की बीमारी की व्यवस्था थी, अब सिर्फ 72.7 फीसदी जिला अस्पतालों में लोगों को अपने दिल का इलाज कराने की सुविधा मिल पाती है. राजस्थान, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही ट्रेंड दिखा है.
राजस्थान के जिला अस्पतालों में घटे कार्डियक केयर यूनिट
राजस्थान में सबसे बड़ी गिरावट देखी गयी है. यहां पहले 70.6 फीसदी जिला अस्पतालों में कार्डियक केयर यूनिट थे, जो अब घटकर 24.2 फीसदी रह गये हैं. इसी तरह कर्नाटक में 43.3 फीसदी से घटकर 20 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में 91.7 फीसदी से 83.3 फीसदी रह गयी है.
Also Read: कैसे मिले बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं? झारखंड, बंगाल, मप्र समेत 5 राज्यों के PHC में 40% डॉक्टर के पद रिक्त
इन राज्यों ने अस्पतालों में दी सीसीयू की सुविधा
जिला अस्पतालों में सीसीयू की स्थापना में तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, हरियाणा, ओड़िशा, जम्मू-कश्मीर ने दिलचस्पी दिखायी है. तमिलनाडु में पहले 56.3 फीसदी अस्पतालों में सीसीयू थे, अब 90.6 फीसदी अस्पतालों में हैं. यह आंकड़ा केरल में 64.3 फीसदी से बढ़कर 78.6 फीसदी, महाराष्ट्र में 22.9 फीसदी से 58.3 फीसदी, हरियाणा में 19.1 से 38.1 फीसदी, ओड़िशा में 3.3 से बढ़कर 33.3 फीसदी और जम्मू-कश्मीर में 27.3 फीसदी से बढ़कर 31.8 फीसदी हो गया है.
गोवा के 50 फीसदी जिला अस्पतालों में सीसीयू की सुविधा
गोवा में पहले किसी जिला अस्पताल में सीसीयू नहीं था, अब 50 फीसदी अस्पतालों में यह सुविधा है. नगालैंड और मिजोरम में वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2017-18 तक कोई नया सुधार देखने को नहीं मिला.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.