पटना. जल-जीवन-हरियाली अभियान का अहम हिस्सा रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर राज्य में कागजी कार्रवाई तेजी से चल रही है, लेकिन जमीन पर काम की रफ्तार बहुत धीमी है. इसके लिए 2019 में ही राज्य के 10 हजार सरकारी भवनों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए चिह्नित किया गया था.
हालत यह है कि राजधानी पटना के सचिवालय स्थित अधिकतर सरकारी भवनों में भी अभी इसकी व्यवस्था नहीं की गयी है. ऐसे में योजना के तहत बारिश का पानी जमीन के अंदर जाने की बजाय नालों में बह जाता है. इससे ग्राउंड वाटर लेवल में सुधार की गति भी धीमी है.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर काम अन्य सरकारी सहित बड़े निजी भवनों में कब होगा, इस संबंध में सरकारी पदाधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सरकारी स्तर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए कागजी कार्रवाई जोर-शोर से की जा रही है.
फिलहाल 100 वर्गमीटर से बड़े किसी नये निजी मकान को बनाने के लिए नगर निकायों से नक्शा पास करवाने के लिए नक्शे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग दिखाना अनिवार्य है. ऐसा नहीं होने पर नक्शा पास नहीं हो रहा और मकान बनाने की अनुमति नहीं मिल रही.
वहीं, नक्शे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था रहने पर मकान बनाने की अनुमति मिल जाती है. हालांकि , मकान बनने के समय इसकी जांच नहीं हो रही कि नक्शे के अनुरूप रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गयी या नहीं.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में बारिश के पानी को फिल्टर कर जमीन के अंदर भेजा जाता है. इसके लिए मकान की छत के पानी को पाइप के सहारे दो फुट चौड़े सीमेंट के बॉक्स में पहुंचाया जाता है. इसके बाद पानी आठ फुट लंबे, आठ फुट चौड़े और आठ फुट गहरे टैंक में जाता है. वहां पत्थर की एक तह बिछाने के बाद उस पर गिट्टी का लेयर बिछाया जाता है. गिट्टी के ऊपर बालू की परत बिछायी जाती है. इससे पानी साफ होकर जमीन के अंदर जाता है, जिससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता है.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग बिल्डिंग बायलॉज में शामिल है. मकान का नक्शा पास कराने के समय यह सुनिश्चित कराना होता है कि उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था होगी. इसके लिए टैक्स में कुछ प्रतिशत की छूट भी दी जाती है. नियम है कि अगर नक्शा में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा मेंशन नहीं है तो नगर निगम मकान या अपार्टमेंट का नक्शा पास नहीं करेगा.
सूत्रों का कहना है कि राज्य में 2019 में करीब 111 प्रखंडों में जमीन का पानी लगभग सूख गया था. इन्हें क्रिटिकल जोन घोषित कर दिया गया था. ऐसे में जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत समग्र रूप से काम कर ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने की मुहिम चलायी गयी थी. इसका बेहतर परिणाम 2020 के अंत में दिखा जब कई इलाकों के ग्राउंड वाटर लेवल में बढ़ोतरी दर्ज की गयी. ऐसे में रेन वाटर हार्वेस्टिंग भी पूरी तरह लागू होने से ग्रांउड वाटर लेवल में सुधार होने की संभावना है.
Posted by Ashish Jha