कौशिक रंजन/पटना. राज्य सरकार ने तीन रिटायर्ड आइएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया है. इनमें केपी रामय्या, एसएम राजू और रामाशीष पासवान शामिल हैं. बिहार में यह पहला मामला है, जब एक साथ तीन रिटायर्ड आइएएस अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति सरकार ने दी है. ये तीनों महादलित छात्रों के लिए चलने वाली कंप्यूटर ट्रेनिंग योजना में हुए 5.55 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपित हैं.
इस मामले की जांच निगरानी ब्यूरो में चल रही है और यह घोटाला उजागर होने पर 23 अक्तूबर, 2017 को मामला दर्ज किया गया था, जिसकी एफआइआर संख्या 81/17 है. इसमें इन तीनों अधिकारी के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा नामजद अभियुक्त बनाये गये थे. मामले की जांच अभी भी चल रही है. कई लोगों जेल भी जा चुके हैं और कुछ वर्तमान में जमानत पर चल रहे हैं.
2017 में बिहार महादलित विकास मिशन के स्तर से महादलित समुदाय के छात्रों को मुफ्त कंप्यूटर ट्रेनिंग दिलाने की योजना शुरू की गयी थी. ट्रेनिंग के बाद पास होने वाले संबंधित छात्रों को सर्टिफिकेट दिया जाता था, जिसके आधार पर उन्हें बेल्ट्रॉन समेत अन्य स्थानों पर नौकरी देने की व्यवस्था थी. इसमें श्रीराम न्यू हॉरीजन संस्थान को ट्रेनिंग देने और शरद झा के ट्रिपल आइ संस्थान को परीक्षा लेने का ठेका दिया गया. छात्रों का कंप्यूटर प्रशिक्षण हुआ, लेकिन इनकी परीक्षा नहीं ली गयी.
फर्जी दस्तावेज के आधार पर कागजी परीक्षा कराकर पूरी राशि का गबन कर लिया. इस मामले में शरद झा को जेल भी हुई थी. अभी वह जमानत पर है. ट्रेनिंग देने वाली कंपनी ने ट्रेनिंग दी, लेकिन एक ही छात्र का नाम दो-तीन स्थानों पर देकर अतिरिक्त राशि निकाल ली. ऑन स्पॉट वेरीफिकेशन से पता चला कि जिस छात्र के नाम पर सर्टिफिकेट जारी किया गया था, उसने कभी न परीक्षा दी और न ही उसे कभी कोई सर्टिफिकेट ही मिला. उस समय केपी रामय्या और एसएम राजू मिशन के एमडी और रामाशीष पासवान निदेशक के पद पर थे. इन तीनों की मिलीभगत से पूरी राशि का गबन हुआ है.
इस मामले में अब संघ लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार के स्तर से मुकदमा चलाने की मंजूरी मिलने के बाद कोर्ट के स्तर पर इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो जायेगी और अन्य अभियुक्तों की तरह इनका ट्रायल से लेकर कोर्ट में निर्धारित तारीख पर पेशी की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. इस मामले में इनकी सजा भी हो सकती है.