शशिभूषण कुंवर, पटना
बिहार सरकार द्वारा बिहार जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किये गये हैं. इन आंकड़ों का संकलन सामान्य प्रशासन की ओर से कराया गया है. इसके पूर्व सामान्य प्रशासन की ओर से ही वर्ष 2013, वर्ष 2015 व वर्ष 2016 में बहेलिया, चंद्रवंशी व माली(मालाकार) जातियों का भी इथनोग्राफी (नृजातीय) अध्ययन कराया गया है. जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में बहेलिया जाति, चंद्रवंशी (कहार,कमकर) जाति और माली (मालाकार) जातियों जो संख्या बतायी गयी है वह इथनोग्राफी अध्ययन से कम है. इन तीनों जातियों की नृजातीय (इथनोग्राफी) अध्ययन भी सामान्य प्रशासन की ओर से कराया गया है. इथनोग्राफी रिपोर्ट एएन सिंह समाज अध्ययन संस्थान,पटना द्वारा किया गया है. दोनों अध्ययन में इन तीनों जातियों की आबादी की संख्या में कोई तालमेल नहीं है. यहां तक कि पिछले पांच -सात वर्षों के दौरान तीनों जातियों की आबादी घटती हुई दिख रही है.
(इथनोग्राफी रिपोर्ट में संख्या 67535 है) जाति गणना की रिपोर्ट में बहेलिया जाति की आबादी 8026 दर्ज की गयी है. इसी जाति को लेकर एएन सिंह समाज अध्ययन संस्थान की ओर से इथनोग्राफी अध्ययन 2015 में कराया गया था. इसके परियोजना निदेशक प्रो अजय कुमार झा थे. एएन सिंह समाज अध्ययन संस्थान द्वारा कराये गये बिहार राज्य के बहेलिया जाति के नृजातीय रिपोर्ट में बताया गया है कि इनकी आबादी 2015 में ही 67,535 है. बहेलिया जाति का मुख्य पेशा परंपरागत तौर पर पक्षियों को मारकर या पकड़कर बेचना रहा है. आजीविका का यह पेशा समय के अनुसार बदल गया है. यह जाति राज्य के 17 जिलों में रहती है. खगड़िया, कैमूर व बक्सर जिले में ही इनकी सर्वाधिक सात-सात हजार की आबादी है. इसके अलावा यह जाति भागलपुर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, पूर्णिया, कटिहार, मुंगेर,, किशनगंज, अररिया, सहरसा, भोजपुर, अरवल, पटना और पश्चिम चंपारण जिले में रही है
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चंद्रवंशी (कहार,कमकर) जाति की आबादी जातिगत गणना के अनुसार राज्य भर में कुल 21 लाख 55 हजार 644 है. इस जाति का भी इथनोग्राफी अध्ययन सामान्य प्रशासन की ओर से एएन सिंह समाज अध्ययन संस्थान द्वारा 2013 में अध्ययन कराया गया था. इसके भी परियोजना निदेशक प्रो अजय कुमार झा थे. इथनोग्राफी रिपोर्ट में बताया गया है कि कहार जाति के लोग चंद्रवशी एवं रवानी नाम से भी जाने जाते हैं. अध्ययन में कहार या चंद्रवंशी जाति की आबादी 30 लाख 32 हजार 800 बतायी गयी है. यह जाति राज्य के सभी 38 जिलों में बसती है. अध्ययन में पाया गया कि कहार जाति की सबसे अधिक एक लाख 55 आबादी गया जिले में बसती है.
जाति आधारित गणना 2022 की रिपोर्ट में माली (मालाकार) जाति की आबादी राज्य में तीन लाख 49 हजार 285 दर्ज की गयी है. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से एएन सिंह समाज अध्ययन संस्थान से वर्ष 2016 में माली(मालाकार) जातियों का इथनोग्राफी रिपोर्ट तैयार करायी गयी है. इसके परियोजना निदेशक बीएन प्रसाद हैं. इथनोग्राफी रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्यभर में माली (मालाकार) जातियों की संख्या 13 लाख 15 हजार 465 है. माली (मालाकार) जातियों की जिलेवार और प्रखंडवार अध्ययन कराया गया है. यह जाति भी राज्य के सभी जिलों में बसती है. माली जाति के लोग सबसे अधिक 91 हजार 750 मधुबनी जिले में बसते हैं. इनकी चार उपजातियां भी हैं.