पटना: बिहार की राजनीति में जाति की अहमियत किसी से नहीं छिपी है. लेकिन, सच्चाई ये भी है कि पिछले 90 साल में किसी भी दल को या राजनैतिक विश्लेषक को ये नहीं मालूम कि जातियों का वास्तविक आंकड़ा क्या है. इन सब के बीच 23 अगस्त 2021 को एक सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने जातिगत जगणना कराने पर मुहर लगाई थी. अब नई सराकर के गठन के बाद इस दिशा में तेजी से कार्य किये जा रहे हैं. जाति आधारित गणना के मकसद से 8 स्तरों पर अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम काम करेगी. इस टीम में शिक्षक, लिपिक, मनरेगा कर्मी, आंगनवाड़ी सेविका से लेकर जीविका समूह के सदस्यों को शामिल किया गया है.
सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कैबिनेट की मीटिंग ली और जातिगत जगणना कराने पर मुहर लगाई थी. सभी 9 राजनैतिक दलों ने जातिगत गणना करने के पक्ष में अपनी मंजूरी दी थी. इसमें सभी धर्मों और संप्रदायों को शामिल किया जाएगा. इसके लिए 9 महीने का समय दिया गया है. इसमें 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. जनगणना के काम को फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
बिहार में नई सरकार के गठन के बादग जाति आधारित जनगणना कराने के लिए सरकार ने अब अपनी तैयारी तेजी से शुरू कर दी है. जाति आधारित गणना के मकसद से 8 स्तरों पर अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम काम करेगी. इस टीम में शिक्षक, लिपिक, मनरेगा कर्मी, आंगनवाड़ी सेविका से लेकर जीविका समूह के सदस्यों को शामिल किया गया है. जिलाधिकारी को इस बात की स्वतंत्रता दी गई है कि वह इनमें से किस के माध्यम से जाति आधारित गणना का काम कराना चाहते हैं. निगरानी का तंत्र 7 स्तर से संचालित होगा.
जातिगत जनगणना से जुड़े आंकड़ों का संग्रहण डिजिटल मोड में मोबाइल ऐप के माध्यम से किया जाना तय किया गया है. इससे आंकड़ों के संकलन में सुविधा मिलेगी. प्रगणक के अवसर पर उन्हें आवंटित क्षेत्र का नक्शा और लेआउट स्केच लिखित तैयार किया जाएगा. मकानों को नंबर भी दिया जाना है. इसके बाद जाति आधारित गणना के लिए बने प्रपत्र और मोबाइल ऐप में निर्धारित कोर्ट के साथ आंकड़े अंकित किया जाएंगे. किसी के द्वारा दिए गए व्यक्तिगत आंकड़ों में किसी तरह का बदलाव या फिर बदल नहीं किया जाएगा. कोई भी सूचना किसी से साझा नहीं की जाएगी.
जातिगत जनगणना कराने के लिए फरवरी 2019 से 2020 तक बिहार विधानमंडल से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित हुआ. 30 जुलाई 2021 को विपक्ष के विधायक सीएम से मिले और पीएम से मिलने का आग्रह किया. 23 अगस्त 2021 को सीएम के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पीएम से मिला. 6 दिसंबर 2021 को सीएम ने कहा कि जातीय गणना की तैयारी पूरी हो चुकी है. 11 मई 2022 को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सीएम से मिले. 29 मई 2022 को राज्य के संसदीय कार्यमंत्री ने प्रमुख दलों को चिट्ठी लिखी. 1 जून को जातीय जनगणना पर सहमति बनी और 2 जून को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई.
भारत में सबसे पहले 1881 में जनगणना हुई. इसके बाद हर 10 साल पर जनगणना होने लगी. इसमें जातीय आधार पर भी जनगणना होती थी. साल 1931 तक ऐसे ही चला. लेकिन 1941 में जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई. इसके बाद 1951 में आजाद भारत की पहली जनगणना से सिर्फ एससी और एसटी के आंकड़े जारी होते आ रहे हैं.