बिहार में जाति गणना (Bihar Caste Census 2023) में थर्ड जेंडर (ट्रांसजेंडर) की गणना के लिए भी उसी तरह कोड तय किया गया है, जिस तरह अन्य जातियों के लिए है. इस पर ट्रांसजेडर समुदाय ने आपत्ति जतायी है. 15 अप्रैल से शुरू हो रहे जाति गणना के दूसरे चरण के लिए जारी फॉर्मेट में ट्रांसजेडर के लिए 22 नंबर का कोड है. दोस्ताना सफर नामक संगठन की सचिव और मानवाधिकार कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद का कहना है कि थर्ड जेंडर को एक जाति मानना एकदम गलत है. यह तो उसकी लैंगिग पहचान है. क्या पुरुष व महिला को जाति के रूप में देखा जाता है. थर्ड जेंडर के लोग किसी भी जाति के हो सकते हैं. उनके लिए अन्य जातियों की तरह एक कोड तय करना उनके अधिकारों का संरक्षण से जुड़े नियमों के विरुद्ध है. उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए ट्रांसजेंडर्स प्रोटेक्टिव एक्ट, 2019 लागू है. रेशमा प्रसाद सरकार से मांग करेंगी कि थर्ड जेंडर को जाति के कॉलम से हटाकर जेंडर के कॉलम में लाया जाये.
रेशमा प्रसाद ने कहा कि बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को इस मामले में हस्तक्षेप करना चहिए. किसी भी व्यक्ति के लिंग की पहचान को किसी व्यक्ति के जाति के रुप में कैसे जाना जा सकता है. इस बारे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करेंगे. यह ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के साथ सरासर अन्याय है.
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बता दें कि वर्ष 2011 की जनगणना में बिहार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की कुल जनसंख्या 40827 थी. इसे ध्यान में रखते हुए बिहार के ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों का कहना है कि बिहार सरकार का ये कदम अन्यायपूर्ण है. सरकार एक लैंगिक पहचान को किसी की जाति कैसे मान सकती है. बताया जा रहा है कि सरकार के द्वारा 215 जातियों की सूची बनायी गयी है. इसमें ट्रांसजेंडरों को एक जाति दिखाते हुए 22 नंबर कोड दिया गया है.