पटना. बिहार में चल रहे जाति आधारित गणना को फील्ड सर्वेक्षण का काम लगभग पूरा हो गया है.डाटा इंट्री का काम भी 50 फीसदी पूरा हो गया है और 50 फीसदी बाकी है. जिलों से फील्ड सर्वेक्षण का काम पूरा होने का प्रमाण पत्र राज्य मुख्यालय को उपलब्ध करा दिया गया है. सोमवार को मुख्य सचिव, बिहार आमीर सुबहानी ने सभी जिलों के जिलाधिकारी के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की और डाटा इंट्री का काम तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति आधारित गणना के तहत न सिर्फ जाति की जानकारी एकत्र की जा रही है, बल्कि 26 प्रकार की अन्य सूचनाएं भी दर्ज की जा रही है. इससे लोगों की आर्थिक स्थिति, रोजगार, जीवन स्तर इत्यादि की भी जानकारी मिल सकेगी.
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बेल्ट्रॉन के माध्यम से चल रहा डाटा इंट्री का काम
सामान्य प्रशासन विभाग सूत्रों के अनुसार राज्य के सभी जिलों से फील्ड सर्वेक्षण का काम पूरा होने का प्रमाण पत्र राज्य मुख्यालय को उपलब्ध करा दिया गया है. फिलहाल बेल्ट्रॉन के माध्यम से डाटा इंट्री का काम किया जा रहा है.डाटा इंट्री का काम भी जल्द ही पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है. इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की सेवा ली जा रहा है.ताकि हार्ड कॉपी से सभी जानकारी की ऑनलाइन इंट्री की जा सके सभी प्रगणकों द्वारा दूसरे चरण में घर-घर जाकर एकत्र किए गए सभी आंकड़ों एवं सूचनाओं की ऑनलाइन इंट्री की जा रही है. सूत्रों के अनुसार कई छोटे जिलों में डाटा इंट्री का काम अंतिम चरण में है, इसके एक-दो दिन में पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है.
जाति गणना पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जाति गणना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इस मामले में सोमवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता की इस मांग को नामंजूर कर दिया गया. कोर्ट अब 14 अगस्त को इसकी सुनवाई करेगी. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सोमवार को बड़ी सुनवाई होनी थी. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है या 90 फीसदी पूरा हो जायेगा. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले से जुड़े कुछ और याचिकाकर्ता ने कहा कि उन लोगो ने भी पटना हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर लें.
14 अगस्त को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए मामले की सुनवाई 14 अगस्त तक टाल दी है. अब14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगी. बिहार सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट कैवियट अर्जी दाखिल कर रखी है. गौरतलब है कि पटना हाइकोर्ट ने बिहार सरकार के तर्क को स्वीकरते हुए राज्य में जाति गणना कराने को मंजूरी दी थी. हाइकोर्ट ने अपने एक अगस्त के फैसले में बिहार सरकार के जातिगत जनगणना को सही ठहराया था. साथ ही जातीय गणना के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर की गयी है.
जाति गणना क्या होती है ?
भारत में हर 10 साल में एक बार जनगणना की जाती है. इससे सरकार को विकास योजनाएं तैयार करने में मदद मिलती है. किस तबके को कितनी हिस्सेदारी मिली, कौन हिस्सेदारी से वंचित रहा, इसके माध्यम से इन सब बातों का पता चलता है. जातिगत जनगणना से आशय यह है कि जब देश में जनगणना की जाए तो इस दौरान लोगों से उनकी जाति भी पूछी जाए. इससे देश की आबादी के बारे में तो पता चलेगा ही, साथ ही इस बात की जानकारी भी मिलेगी कि देश में कौन सी जाति के कितने लोग रहते है. सीधे शब्दों में कहें तो जाति के आधार पर लोगों की गणना करना ही जातीय गणना होता है.
आखिरी बार कब हुई थी जातिगत जनगणना
भारत में आखिरी बार जाति के आधार पर जनगणना ब्रिटिश शासन के दौरान सन 1931 में हुई थी. इसके बाद 1941 में भी जातिगत जनगणना हुई, लेकिन इसके आंकड़े पेश नहीं किए गए थे. अगली जनगणना 1951 में हुई लेकिन तब तक देश आजाद हो चुका था और आजादी के बाद इस जनगणना में सिर्फ अनुसूचित जातियों और जनजातियों को ही गिना गया. मतलब देश की आजादी के बाद साल 1951 में अंग्रेजों की दी हुई जातिगत जनगणना की नीति में बदलाव कर दिया गया, जो साल 2011 में की गई आखिरी जनगणना तक जारी रहा.