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CBI के गोपनीय जानकारी की कीमत 15 हजार, कार्रवाई से पहले सचिवालय से लिक होती थी जानकारी, जानें पूरा मामला

CBI के द्वारा भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को बचाने के लिये सचिवालय से सूचनाएं लीक हो रही हैं. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामलों में कार्रवाई करने वाली सरकार की एजेंसी निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की छापेमारी से पहले सचिवालय के कर्मचारी भ्रष्टाचारी को सूचना दे दे रहे थे.

CBI के द्वारा भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को बचाने के लिये सचिवालय से सूचनाएं लीक हो रही हैं. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामलों में कार्रवाई करने वाली सरकार की एजेंसी निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की छापेमारी से पहले सचिवालय के कर्मचारी भ्रष्टाचारी को सूचना दे दे रहे हैं. निगरानी ने शनिवार को इसका भांडाफोड कर पूर्णिया नगर निगम के धनकुबेर जूनियर इंजीनियर शिव शंकर सिंह और नगर विकास एवं आवास विभाग के सेक्शन सात में तैनात सचिवालय सहायक धीरेंद्र कुमार सिंह उर्फ धीरज को गिरफ्तार कर लिया है. दोनों के खिलाफ रिश्वत के लेनदेन का भी मुकदमा दर्ज किया गया है. सचिवालय सहायक ने 15 हजार रुपये लेकर शिवशंकर को फाइल का वह पेज उपलब्ध करा दिया था जिसमें उसके खिलाफ कार्रवाई के लिये आदेश दिये थे. शिवशंकर को छापेमारी से बीस दिन पहले ही बता दिया गया गया था निगरानी कार्रवाई करने जा रही है.

पूछताछ में आकाश ने उगला पूरा राज

शिवशंकर के खिलाफ 20 अक्टूबर को एक करोड़ 21 लाख 67 लाख 171 रुपये की आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज किया गया था. 21 अक्टूबर को एक साथ सहरसा, पटना और पूर्णिया स्थित उसके ठिकानों पर छापेमारी की गयी थी. पटना के बोरिंग कैनाल रोड स्थित राणा रेसीडेंसी अपार्टमेंट में फ्लैट संख्या 102 पर निगरानी के डीएसपी गौतम कृष्ण के नेतृत्व में छापा मारा गया था. तलाशी के शिव शंकर सिंह का पुत्र आकाश कुमार एप्पल का आइफोन यूज कर रहा था. डीएसपी ने उसके वाट्सएप मैसेज को चेक किया तो पाया गया कि आकाश ने पिता को 30 सितंबर को को एक मैसेज भेजा है. इसमें नगर विकास विभाग में शिवशंकर के विरुद्ध उनकी संपत्ति के जांच कराये जाने संबंधी एक विभागीय पत्र था. पूछताछ में आकाश ने सचिवालय सहायक धीरज सिंह की पोल खोल दी.

हनुमान मंदिर पर सुबह पहुंची रिश्वत, शाम को मिले गोपनीय कागज

जांच से जुड़ा पेपर लीक करने के लिये धीरेंद्र कुमार ने शिवशंकर से 15 हजार रुपये मांगे थे. पिता के कहने पर आकाश ने 30 सितंबर को धीरज को सुबह फोन किया. नया सचिवालय मोड पर स्थित मंदिर के पास धीरज मिला. धीरज ने 15 हजार रुपये लेने के बाद साढ़े तीन बजे तक कागज नहीं मिला तो फोन किया. पांच बजे के करीब आकाश के पास धीरज का फोन आया. उसे मंदिर पर बुलाया. शिवशंकर से संबंधित विभागीय कागजात दे दिया. खर पेज के कागजात को आकाश ने अपने वाट्ससेप से पिता को भेज दिया.

सचिवालय पहुंची निगरानी, सहायक की करायी पहचान

निगरानी की टीम आकाश कुमार को लेकर नगर विकास विभाग पहुंची. यहां आकाश कुमार ने धीरज सिंह की पहचान कर ली. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को प्रशाखा पदाधिकारी राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले मामलों की फाइल का कस्टोडियन धीरेन्द्र कुमार सिंह ही है. यहां निगरानी ने फाइल देखी तो पुष्टि हो गयी जेई के बेटे के मोबाइल में मिले पेपर इसी फाइल के हैं. धीरेन्द्र कुमार सिंह सारण के मशरक थाना के ग्राम मगुराहा का रहने वाला है.

करोड़ों की चल अचल संपत्ति मिली

जेई के खिलाफ 2019 में निगरानी में शिकायत की गयी थी. शिव शंकर सिंह के पटना, पूर्णिया और सहरसा के ठिकानों पर शुक्रवार को निगरानी की छापेमारी में करोड़ों की चल – अचल संपत्ति मिली थी. 18 प्लाट की मालकिन पत्नी 10 लाख तो बेटा 12 लाख की कार में चल रहा है. पटना के फ्लैट से 11 लाख के गहने तो पूर्णिया वाले घर से में एक किलो वजनी सोना के आभूषण मिले हैं. विभिन्न बैंक की 21 पासबुक डीड , लॉकर भी मिले हैं. जेई के नाम एसबीआई बैंक में दो लाख 70 हजार, यूनियन बैंक में पत्नी और पुत्र आकाश के नाम 26 लाख, अन्य वित्तीय संस्थानों में दस लाख , बेटा आशीष केे नाम 12 लाख की कार, पत्नी के नाम दस लाख की काम, और दूसरा बेटा आकाश के नाम सवा लाख की बाइक मिली है.

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