पटना. सोमवार को वैशाख शुक्ल पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र व वरीयान के साथ परिध के संयुक्त योग में इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण लगेगा. यह चंद्रग्रहण खग्रास चंद्रग्रहण रहेगा. इस माह का यह दूसरा ग्रहण होगा. इसी मास में अमावस्या को सूर्यग्रहण लग चुका है और अब पूर्णिमा को चंद्रग्रहण लग रहा है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को अशुभ माना गया है. यह चंद्रग्रहण भारत में दिखायी नहीं देगा तथा इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा. इस ग्रहण की कोई भी धर्मशास्त्रीय मान्यता एवं सूतक वेध का प्रतिबंध नहीं होगा.
वैदिक पंडित गजाधर झा ने बताया कि भगवान विष्णु के प्रिय मास वैशाख माह की पूर्णिमा कल पुण्यकारी सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जायेगी. वैशाख पूर्णिमा को ही भगवान नारायण ने कूर्म अवतार व बुद्धावतार लिए थे. इसीलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. वैशाख पूर्णिमा को श्रद्धालु गंगा सहित पवित्र नदियों, तालाबों य अस्नान जल में गंगाजल मिलकर स्नान करेंगे. इस दिन स्नान-दान, पूजा-पाठ के बाद जल युक्त घड़ा, तिल, घृत, स्वर्ण आदि का दान करना अतिपुण्यकारी रहेगा. पंडित झा ने कहा कि इस वर्ष का पहला खग्रास चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखेगा.
ज्योतिषाचार्य श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि वैशाख पूर्णिमा पर व्रत और पुण्य कर्म करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि अन्य पूर्णिमा व्रत के सामान ही है, लेकिन इस दिन किये जाने वाले कुछ धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं. वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुआं में स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से गोदान के समान फल मिलता है.
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चंद्रग्रहण काल : प्रातः 7:02 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक
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अवधि: लगभग 5 घंटे 18 मिनट
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पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 15 मई को रात 12:45 बजे से
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पूर्णिमा तिथि समाप्त : 16 मई को सुबह 09:43 बजे