स्वयं सहायता समूह की जीविका दीदी ने बिहार सहित पूरे देश में महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक नयी आर्थिक और सामाजिक क्रांति ला दी है. संसद में मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2022- 23 में कहा गया है कि महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सशक्तीकरण पर जबर्दस्त प्रभाव डाला है.
जीविका की दीदी अब पैसे को संभालने, वित्तीय निर्णय लेने और बेहतर सामाजिक नेटवर्क स्थापित करने में आगे आयी हैं. केंद्र और राज्य सरकार के स्वच्छ भारत मिशन, शराबबंदी, दहेज उन्मूलन और कोविड के समय मास्क की आपूर्ति जैसी सामाजिक सरोकार वाले कार्यक्रमों की सफलता में जीविका की दीदियों ने अहम भूमिका निभायी है. अब तो जीविका ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है. वहीं, सर्विस सेक्टर में बैंक सखी, सीएसपी का संचालन और राज्य के अस्पतालों की पैनट्री भी जीविका दीदी के हवाले है.
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने साल 2006-07 में इस योजना की शुरुआत वर्ल्ड बैंक से लोन लेकर की थी. इसमें महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप बना कर उनके बैंक खाते खुलवाए जाते थे और फिर उन्हें रोजगार के लिए सरकार की तरफ मदद दी जाती है.बिहार जीविका की महत्ता इस बात से साबित होती है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जीविका की दीदी के कामों की खूब तारीफ करते हैं.
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बिहार में जीविका के किसान उत्पादक संघों के उत्पाद की ब्रांडिंग बड़ी कंपनियां कर रही हैं. गांव में स्वरोजगार के सृजन से लेकर कंपनी तक बना कर काम कर रही है. डेयरी,फिशरीज से लेकर सर्विस सेक्टर तक में दस्तक दी है. जीविका के तहत अब तक कुल 25 हजार करोड़ रुपये का बैंक क्रेडिट महिलाओं को दिया गया है. इसके लिए बिहार में महिलाओं के अब तक करीब 10 लाख ग्रुप (सेल्फ हेल्प ग्रुप) बैंक खाते खोले गये हैं.
जीविका की सफलता बिहार के गांव में एक बड़े आर्थिक और सामाजिक बदलाव की नींव तैयार कर रही है. अर्थशास्त्री डॉ सुधांशु कुमार बताते हैं कि जीविका के माध्यम से महिलाओं के लिए अवसर बनना ग्रामीण परिवारों को एक बड़ा आर्थिक बल प्रदान करता है. जीविका के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को स्थानीय स्तर पर ही उनके कौशल केहिसाब से रोजगार के अवसर मिल रहे हैं. साथ ही स्वयं सहायता समूह के रूप में संगठित होने के कारण आसान शर्तों पर ऋण की उपलब्धतता भी सुनिश्चित हो रही है.
Posted By: Thakur Shaktilochan