सुबोध कुमार नंदन, पटना
गलत दस्तावेज और दूसरे के फोटो प्रस्तुत कर सिम लाने वाले के खिलाफ सरकार काफी सख्त हो गयी है. इसी का नतीजा है कि पिछले छह माह में सरकार ने राज्य के 3.49 लाख मोबाइलधारकों के सिम बंद कर दिये हैं. यह कार्रवाई नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग के आधार की जा रही है. दूरसंचार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय और दूरसंचार मंत्रालय मिलकर पिछले एक साल से सख्ती से पहल कर रहे हैं. इसमें टेलीकॉम एनालेटिक्ल फॉर फ्रॉड मैनेजमेंट एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन (टैफकोप) के तहत 2,17,095 और अस्त्र के तहत 1,16,548 सिम बंद किये गये हैं. इसके अलावा विभिन्न राज्यों से साइबर क्राइम रिपोर्टिंग के तहत आने वाली शिकायत के बाद सिम बंद किये गये हैं.
इन राज्यों से सबसे अधिक मामले
दूरसंचार विभाग ( डीओटी) के अनुसार साइबर क्राइम की ओर से अगर एक हजार की सूची भेजी जाती है, तो जांच के दौरान उनमें से 900 गलत दस्तावेज और गलत फोटो पर सिम लेने का मामला प्रकाश में आता है. अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार बिहार का नोडल स्टेट यूपी है, जिसके माध्यम से बिहार दूरसंचार को सिम से जुड़े दस्तावेज और संबंधित सिमधारक को जांच करने के लिए आवंटित किया जाता है. जांच के दौरान सबसे अधिक मामला गलत फोटो प्रस्तुत करने का आया है. डीओटी आफिस को तेलंगाना, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और गुजरात के साइबर क्राइम डिपार्टमेंट से सबसे अधिक मामले जांच के लिए आ रहे हैं.
दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का समय
अधिकारियों की मानें, तो शिकायत आने पर संबंधित ऑपरेटर को सिम से जुड़े दस्तावेजों की जांच करने को दिया जाता है. इसके बाद उसकी स्क्रीनिंग की जाती है. इसके बाद दूरसंचार विभाग अवैध तरीके से लिये गये सिम को बंद कर देता है. शिकायत आने पर संबंधित सिमधारक को 15 दिनों के अंदर दस्तावेज प्रस्तुत करने का मौका दिया जाता है. अगर वह समय सीमा के अंदर दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करता है, तो सिम काे हमेशा के लिए बंद कर दिया जाता है.
एक व्यक्ति नौ सिम अपने नाम पर ले सकता है
दूरसंचार की गाइडलाइंस के अनुसार एक व्यक्ति नौ सिम अपने नाम पर ले सकता है. इसकी का फायदा फ्रॉड उठा रहे हैं. लेकिन, सरकार इन नियम को बदल कर नौ से पांच सिम ही देने पर विचार कर रही है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जांच में पता चला कि सिम कनेक्शन लेते वक्त कई तरह की गड़बड़ियां की गयी थीं. किसी मामले में जो पहचान पत्र दिया गया है, उसमें व्यक्ति की तस्वीर नहीं है, तो किसी मामले में फोटो के साथ छेड़छाड़ की गयी है. ऐसा ऑनलाइन फ्रॉड के लिए किया जाता है. ऐसा जालसाज कार्रवाई से बचने के लिए करते हैं. लेकिन अब मंत्रालय डेटाबेस समाप्त करने में जुट गया है.
गिरजेश कुमार मिश्रा, वरिष्ठ उप महानिदेशक, दूरसंचार विभाग ( डीओटी)