केंद्र सरकार ने जारी किया जीएसटी मुआवजे का अंतिम किस्त, बिहार के हिस्से सिर्फ 91 करोड़
केंद्र सरकार ने जीएसटी मुआवजे की अंतिम किस्त के रूप में राज्यों के लिए 17000 करोड़ जारी कर दिया है. दिलचस्प यह है कि 17000 करोड़ में से बिहार को महज 91 करोड़ ही मिलेगा जबकि पड़ोसी राज्य झारखंड को 338 ,उत्तर प्रदेश को 1202 और पश्चिम बंगाल को 814 करोड़ मिलेंगे.
कैलाशपति मिश्र, पटना. केंद्र सरकार ने जीएसटी मुआवजे की अंतिम किस्त के रूप में राज्यों के लिए 17000 करोड़ जारी कर दिया है. दिलचस्प यह है कि 17000 करोड़ में से बिहार को महज 91 करोड़ ही मिलेगा जबकि पड़ोसी राज्य झारखंड को 338 ,उत्तर प्रदेश को 1202 और पश्चिम बंगाल को 814 करोड़ मिलेंगे.
केंद्र सरकार करेगी भरपाई
उल्लेखनीय है कि देश में एक जुलाई 2017 से नये कर कानून जीएसटी लागू किया गया था. इसे लागू करते वक्त राज्यों को केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि जीएसटी लागू होने से उन्हें राजस्व का जो नुकसान होगा, पांच साल तक केंद्र सरकार उसकी भरपाई करेगी. तब माना गया था कि राज्यों का रेवेन्यू 14 फीसदी के चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है.
पड़ोसी राज्यों को मिली जीएसटी मुआवजा राशि
राज्य राशि (अप्रैल से जून)
-
बिहार 91 करोड़
-
झारखंड 338 करोड़
-
उत्तर प्रदेश 1202 करोड़
-
पश्चिम बंगाल 814 करोड
राजस्व ग्रोथ करीब 13 फीसदी था
जीएसटी के पहले वैट के दौरान राज्यों को राजस्व ग्रोथ करीब 8.9 फीसदी था और बिहार का 13 फीसदी था. इस आधार पर जीएसटी के तहत प्रोटेक्टेड रेवन्यू में 14 फीसदी ग्रोथ नहीं होने पर मुआवजा का प्रावधान किया गया था. जिसकी मियाद 30 जून, 2022 को खत्म हो गयी. बिहार को अंतिम किस्त चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के प्रथम तिमाही यानी अप्रैल से जून 2022 की अवधि तक के लिए जारी की जायेगी.
अब तक बिहार को मिली जीएसटी मुआवजा राशि
वर्ष मुआवजा करोड़ में
-
2017-18 2571
-
2018-19 3041
-
2019-20 3525
-
2020-21 4359
-
2021-22 3500
-
2022-23 91
ऋण की कैपिटल और सूद की भरपाई करेगी
केंद्र ,मुआवजा देने के लिए जीएसटी के तहत विलासितापूर्ण वस्तुओं पर सेस लगाया है. सेस की राशि से ही राज्यों को मुआवजा की राशि जाती रही थी.लेकिन केंद्र ने सेस वसूले जाने की अवधि बढ़ाकर जुलाई 2026 तक के लिए कर दिया है.अब इस राशि से केंद्र सरकार कोरोना काल में राज्यों को दिये ऋण की कैपिटल और सूद की भरपाई करेगी.
उपभोक्ता को अधिक कीमत चुकानी होगी
इन दो वित्त वर्षों के दौरान राज्यों ने जो लोन लिया था, उसे चुकता करना है.इसके लिए तंबाकू, सिगरेट, हुक्का, एयरेटेड वॉटर, हाइ-एंड मोटरसाइकिल, एयरक्राफ्ट, याट और मोटर व्हीकल्स पर सेस जारी रहेगा.यानी इनके लिए अब भी उपभोक्ता को अधिक कीमत चुकानी होगी.