Chaitra Navratri 2023: शक्ति की आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्र 22 मार्च से उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के साथ शुरू होगा. इस दिन से नवसंवत्सर 2080 नल नामक संवत्सर भी आरंभ होगा. इस बार नवरात्र में कई योगों का महासंयोग बन रहा है. इस बार तिथि की घट-बढ़ नहीं होने से माता की आराधना पूरे नौ दिन होगी. आचार्य राकेश झा ने बताया कि चैत्र नवरात्र का आरंभ 22 मार्च को देवी दुर्गा का आगमन नौका यानी नाव पर होगा, जो जो फसल, धन-धान्य और विकास के लिए लाभकारी रहेगा. चैत्र शुक्ल दशमी 31 मार्च को देवी की विदाई गज यानी हाथी पर होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हाथी पर देवी की विदाई होने से इस वर्ष उत्तम वृष्टि के आसार बनेंगे.
शुक्ल और ब्रह्म योग में 22 मार्च को घट स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा होगी. पर्व का पारण 31 मार्च को होगा. ज्योतिषाचार्य शंभु प्रसाद ने बताया कि चैत्र नवरात्र में इस बार तीन सर्वार्थ सिद्धि, तीन रवि योग, दो अमृत सिद्धि योग, दो राजयोग और गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग भी बनेगा. नवरात्र में पड़ रहे शुभ योगों में खरीदारी भी फलदायक रहेगी. शहर के प्रमुख देवी मंदिरों और माता मंदिरों में नवरात्र की तैयारियां शुरू हो गयी हैं. आचार्य राकेश झा ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा बुधवार 22 मार्च को उत्तर भाद्रपद नक्षत्र व शुक्ल योग में वासंतिक नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू होगा. 28 मार्च को मृगशिरा नक्षत्र व शोभन योग में माता का पट खुलेगा. चैत्र शुक्ल अष्टमी 29 मार्च को महाअष्टमी का व्रत और 30 मार्च को महानवमी में पाठ का समापन, हवन व कन्या पूजन होगा.
किस दिन कौन सा विशेष योग
22 मार्च : शुक्ल योग व ब्रह्म योग
23 मार्च : सर्वार्थ सिद्धि योग
25 मार्च : रवि योग
27 मार्च : सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग
28 मार्च : द्विपुष्कर योग
29 मार्च : रवियोग
30 मार्च : सर्वार्थ सिद्धि योग