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Chamki fever: उत्तर बिहार के बच्चे सबसे अधिक हुए एइएस से पीड़ित, जानें किस जिले में मिले ज्यादा मरीज

Chamki fever: सिविल सर्जन सुभाष कुमार ने कहा कि जिले के 12 प्रखंडों से बच्चे एइएस पीड़ित होकर आये हैं, जबकि अभी जिले में किसी भी बच्चे की मौत एइएस से नहीं हुई है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 10, 2022 12:38 PM

मुजफ्फरपुर. बिहार में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. उत्तर बिहार में जनवरी से लेकर अप्रैल तक जिले के सबसे अधिक बच्चों में एइएस की पुष्टि हुई है. 17 एइएस पीड़ित बच्चों में सबसे अधिक बंदरा, कुढ़नी और मोतीपुर प्रखंड के बच्चे हैं. वहीं, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली, पूर्वी व पश्चिम चंपारण और अररिया के बच्चे एइएस से पीड़ित होकर पीकू में भर्ती हुए, जबकि वैशाली व अररिया के एक-एक बच्चे की मौत एइएस से हुई है. सिविल सर्जन सुभाष कुमार ने कहा कि जिले के 12 प्रखंडों से बच्चे एइएस पीड़ित होकर आये हैं, जबकि अभी जिले में किसी भी बच्चे की मौत एइएस से नहीं हुई है.

17 बच्चे एइएस की चपेट में आये

अभी तक स्वास्थ्य विभाग एइएस प्रभावित मुशहरी, कांटी, बोचहां और मीनापुर को ही डेंजर डोज मान रहा था. लेकिन पारू से अधिक केस आने के बाद पारू भी एइएस प्रभावित क्षेत्र में शामिल हो गया है. शिशु रोग विषेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी कहते हैं कि जिलों में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एइएस) के कारण बच्चे मरने लगे हैं. मौसम की तल्खी और हवा में नमी की अधिकता के कारण एइएस नामक बीमारी से इस वर्ष अब तक दो बच्चों की मौत हो चुकी है. हालांकि पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा राहत देने वाला है. उन्होंने कहा कि नौ मई तक जिले के 17 बच्चे एइएस की चपेट में आये हैं.

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एइएस पर श्रुतिलेख तैयार करेंगे बच्चे

मुजफ्फरपुर. एइएस को लेकर चल रहे जागरूकता अभियान के तहत अब सरकारी स्कूल के बच्चे स्कूलों में श्रुतिलेख लिखेंगे और उस पर अभिभावक से हस्ताक्षर करायेंगे. स्कूल में चेतना सत्र के दौरान जो बताया जायेगा, उसी के आधार पर उन्हें श्रुतिलेख व निबंध तैयार करना है. साथ ही सभी बातें अभिभावकों को समझाकर हस्ताक्षर कराना है. नियमित रूप से स्कूल में इसकी मॉनीटरिंग वर्ग शिक्षक को करना है. शिक्षा विभाग की ओर से बच्चों को एइएस से बचाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.

डीइओ अब्दुस सलाम अंसारी ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र भेजकर इस संबंध में निर्देश दिया है. कहा है कि स्कूलों में चेतना सत्र के दौरान शिक्षक बच्चों को एइएस से बचाव को लेकर शपथ पत्र बच्चों से माइक के माध्यम से पढ़वाया जाए. कक्षाओं में एइएस के लक्षण, बचाव, उपचार संबंधित श्रुतिलेख व निबंध लेखन कराना है. डीइओ ने कहा कि जिला स्तर पर विभागीय अधिकारी निगरानी कर रहे हैं. किसी तरह की लापरवाही सामने आने पर संबंधित प्रधानाध्यापक व बीइओ के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

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