बिहार के मुजफ्फरपुर के साथ अब पूर्वी चंपारण में भी चमकी बुखार का प्रकोप देखने को मिल रहा है. गर्मी बढ़ने के साथ ही जिले में एइएस के केस हर दिन बढ़ने लगे हैं. बच्चे एइएस से पीड़ित होकर एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में भर्ती हो रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, चार बच्चों में एइएस की पुष्टि हुई है. इनमें से दो बच्चे मुजफ्फरपुर जिले के शामिल हैं, जबकि दो बच्चे पूर्वी चंपारण के बताये गये हैं. जिले में बोचहां प्रखंड के नीरज कुमार की एक साल की पुत्री प्रीति कुमारी और मोतीपुर के मो अमजद की ढाई साल की पुत्री नयना खातून में एइएस की पुष्टि हुई है. इसके अलावा पूर्वी चंपारण के मेहसी निवासी विनय दास की सात वषीय पुत्री अमृता कुमारी व राजेपुर निवासी धर्मेंद्र कुमार की दो वषीय पुत्री अनामिका कुमारी में भी एइएस की पुष्टि हुई है.
इससे पहले पिछले 13 दिनों में एसकेएमसीएच में 19 बच्चे एइएस से पीड़ित होकर पीकू में भर्ती हुए हैं. हालांकि इस दौरान किसी भी बच्चे की मौत नहीं हुई है. सभी बच्चे स्वस्थ्य होकर घर लौटे चुके हैं. इस साल जनवरी माह से 13 जून तक एसकेएमसीएच के पीकू में एइएस के कुल 43 केस आये हैं. इनमें से जिले के 27 केस हैं. जबकि सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण के 16 बच्चे पीड़ित होकर पीकू में भर्ती हुए हैं.
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सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा ने बताया कि बच्चों में बढ़ रही बीमारी को देखते हुए जिले में एइएस पर जागरूकता बढ़ा दी गयी है. बच्चों को धूप में नहीं निकलने और बासी खाना नहीं खाने की सलाह दी जा रही है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि बच्चों को इलाज के लिए एसकेएमसीएच लाया जा रहा है. बच्चे की गंभीर स्थिति को देख उसे पीकू वार्ड में भर्ती कर एइएस के प्राटोकॉल के तहत इलाज किया जाता है. उन्होंने कहा कि बीमार पड़ने पर अगर बच्चे को सही समय पर इलाज की सुविधा मिले, तो उसकी जान बचायी जा सकती है.
बच्चों को धूप से बचाएं, क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन हो जाता है. इस वजह से बच्चों की रुचि भोजन व पानी में कम हो जाती है. बच्चों को रात में खाली पेट नहीं सोने दें. सोने के समय नींबू पानी, शक्कर अथवा ओआरएस का घोल पिलाएं और चमकी बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.