पटना. चमकी बुखार का खतरा एक बार फिर सताने लगा है. इसी को देखते हुए इस बार पटना का स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. मामले बढ़े नहीं इसको लेकर पटना के बड़े सरकारी अस्पतालों में सतर्कता बढ़ाने के निर्देश जारी किये गये हैं. साथ ही पीकू वार्ड तैयार किये गये हैं. पिछली बार गर्मियों के मौसम में पटना जिले में चमकी बुखार का संक्रमण देखने को मिला था. इसका प्रकोप बच्चों के साथ-साथ युवा वर्ग पर पड़ा था.
जानकारों की माने तो प्रदेश के मुजफ्फरपुर आदि जिलों में एक दर्जन से अधिक केस दर्ज किये गये हैं. हालांकि राहत की बात यह है कि अभी तक चमकी से पीड़ित एक भी मरीज को पटना रेफर नहीं किया गया है. लेकिन मौसम परिवर्तन को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पीएमसीएच और आइजीआइएमएस में पीकू वार्ड पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है. पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में 12 बेड व आइजीआइएमएस में भी पीकू वार्ड में करीब 16 बेड रिजर्व करने के निर्देश जारी किये गये हैं.
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने बताया कि अभी तक चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे रेफर होकर नहीं आये हैं. लेकिन शिशु रोग विभाग के डॉक्टरों को अलर्ट कर दिया गया है. साथ ही एइएस बीमारी से संबंधित सभी तरह की दवाएं आदि का इंतजाम करने को कहा गया है. अधीक्षक ने बताया कि इसके लिए वेंटिलेटर दवा व स्लाइन का स्टॉक कर लिया गया है.
आइजीआइसी के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एनके अग्रवाल ने बताया कि चमकी बुखार वह बुखार है जिसमें मरीज को तेज बुखार के साथ झटके महसूस होते हैं. मुख्यत: कम आयु वर्ग के बच्चों में इसके बढ़ने का खतरा ज्यादा रहता है. साथ ही गर्मी के मौसम में शरीर का रेगुलेटरी सिस्टम कमजोर पड़ने लगता है, जिससे यह बुखार प्रबल हो जाता है, क्योंकि गर्मियों के मौसम में वायुमंडल का तापमान बढ़ने के साथ ही शरीर का भी तापमान बढ़ जाता है. यदि किसी को तेज बुखार के साथ झटके आ रहे हैं, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर इलाज कराएं.
चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को लगातार तेज बुखार रहता है, शरीर में ऐंठन होती है. इसके अलावा कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश भी हो सकता है. कभी-कभी तो शरीर सुन्न भी हो जाता है और झटके लगते रहते हैं. इन लक्षणों पर ध्यान देने और डॉक्टर से संपर्क कर सही समय पर इलाज की जरूरत होती है. एक से 15 साल तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं. इम्यूनिटी कमजोर होना इसकी एक वजह हो सकता है.
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उत्तर बिहार के एइएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) प्रभावित 12 जिलों में स्वास्थ्य विभाग ने विशेष सतर्कता और चौकसी रखने के निर्देश दिया गया है. साथ ही स्वास्थ्य मुख्यालय के स्तर पर संबंधित जिलों में पदस्थापित डाक्टरों की माॅनीटरिंग भी शुरू कर दी है. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सह स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार ने बुधवार को बताया कि प्रदेश के 12 जिले जिनमें मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर, सीमामढ़ी, शेखपुरा, दरभंगा, मधुबनी व अन्य कुछ जिले शामिल हैं, उन जिलों के सिविल सर्जनों को विशेष रूप से हिदायत दी गयी है कि वे अपने प्रभार वाले जिलों के अस्पतालों को एइएस से लडने की हर सुविधा सुनिश्चित करें. निर्धारित दवाओं के साथ ही ओआरएस के घोल, जिंक वगैरह की पर्याप्त उपलब्धता रखें. अस्पतालों को एंबुलेंस को लेकर भी विशेष हिदायत दी गयी है कि कम से कम एक एंबुलेंस रिजर्व में रखी जाये.