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30 लाख किसान प्राकृतिक रेशों के उत्पादन में शामिल

मोतिहारी : केंद्रीय कृषि सह किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि प्राकृतिक रेशा भारतीय वस्त्र उद्योग की रीढ़ है. वे रेशा उद्योग के कुल 60 प्रतिशत से अधिक का भाग है. दुनिया भर में 75 मिलियन से अधिक परिवार प्राकृतिक रेशों के उत्पादन में सीधे शामिल है. भारत में 30 लाख किसान […]

मोतिहारी : केंद्रीय कृषि सह किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि प्राकृतिक रेशा भारतीय वस्त्र उद्योग की रीढ़ है. वे रेशा उद्योग के कुल 60 प्रतिशत से अधिक का भाग है. दुनिया भर में 75 मिलियन से अधिक परिवार प्राकृतिक रेशों के उत्पादन में सीधे शामिल है. भारत में 30 लाख किसान प्राकृतिक रेशों के उत्पादन में शामिल है. श्री सिंह गांधीनगर में एक कार्यक्रम के दौरान उक्त बातें कहीं. कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में प्राकृतिक रेशों को ऐक्रेलिक, पॉलिस्टर आदि कृत्रिम रेशों से कठोर प्रतिस्पर्द्धा और चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

1990 के दौरान अकेले कपास का योगदान 50 प्रतिशत रहा जो वर्तमान में विश्व परिधान बाजार में कपास का योगदान 30 प्रतिशत से भी कम हो गया है. इधर लोगों में आयी जागरूकता की वजह से प्राकृतिक रेशों की मांग बढ़ी है. वर्तमान में 90 देश कपास का उत्पादन कर रहे है. भारतीय वस्त्र उद्योग के कुल रेशों की खपत का 60 प्रतिशत भाग कपास का है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में कपास का प्रमुख उत्पादक है, जो विश्व का लगभग एक तिहाई हिस्सा है. वर्ष 2016-17 के दौरान भारत में 10.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र से 5.8 मिलियन टन कपास का उत्पादन किया, जिसकी उत्पादकता लगभग 550 किलो लिंट/हेक्टेयर की पायी गयी. इसकी जानकारी उनके निजी सहायक आशीष रंजन ने जारी बयान में दी है.

दिया योगदान
घोड़ासहन. स्थानीय बीआरसी कार्यालय में प्रखंड साधनसेवी एमडीएम योजना के रूप में सच्चिदानंद सिंह ने योगदान दिया. जानकारी देते बीइओ योगेंद्र राय शर्मा ने बताया की श्री सिंह का योगदान स्वीकृत कर कार्य करने की अनुमति दे दी गयी है. योगदान के मौके पर शिक्षक संघ के प्रखंड अध्यक्ष गोपाल प्रसाद यादव, सुनील यादव, बीआरपी मुन्ना राम, नुरुल होदा समेत अन्य लोग शामिल थे.

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