करोड़ों रुपये की जमीन पर भू-माफियाओं की नजर

सूरत-ए-हाल . कब्जा दिलाने का सालों से चल रहा है खेल तीन दिसंबर 2016 को डीएसपी ने तीन लोगों को किया था गिरफ्तार सब्जी बजार में कभी भी हो सकती है कोई बड़ी घटना रक्सौल : ऐसे तो रक्सौल के किसी भी मोहल्ले की जमीन कीमती है. लेकिन मेन रोड के बगल में सब्जी बाजार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2017 4:26 AM

सूरत-ए-हाल . कब्जा दिलाने का सालों से चल रहा है खेल

तीन दिसंबर 2016 को डीएसपी ने तीन लोगों को किया था गिरफ्तार
सब्जी बजार में कभी भी हो
सकती है कोई बड़ी घटना
रक्सौल : ऐसे तो रक्सौल के किसी भी मोहल्ले की जमीन कीमती है. लेकिन मेन रोड के बगल में सब्जी बाजार की जमीन हो तो भू-माफियाओं की नजर पड़नी ही है. खाता संख्या 168, खेसरा 1493 रकबा चार कट्ठा. जिसको लेकर काफी दिनों से कब्जा करने का प्रयास चल रहा है और अब तक कई भू-माफिया इस पर जोर-अजमाइश कर चुके हैं. पिछले साल तीन दिसंबर को जमीन पर कब्जा का प्रयास हुआ, तो एसडीपीओ राकेश कुमार ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया. जिसमें प्रभास तिवारी, भीम सिंह व राजन कुमार शामिल थे. हालांकि, तब भू-माफिया जमीन पर कब्जा नहीं कर सके और वर्तमान में चर्चा है कि बिहार के बाहुबली नेता के हस्तक्षेप से उनके करीबियों के द्वारा जमीन को कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है.
बताया जता है कि उक्त जमीन को लेकर सच्चाई यह है कि उसपर सात लोगों का दुकान वर्षों से है, वे किसी को किराया नहीं देते हैं और शंभु सहनी के पक्षकारों द्वारा जमीन पर अपना दावा प्रस्तुत कर खाली कराने का प्रयास कराया जाता रहा है. अधिकतर परिवार मरने की बात कहते है लेकिन जमीन खाली करने को राजी नहीं है. हालांकि एक परिवार विनय कुमार का भी है जो बड़े बाहुबलियों के उक्त जमीन दखली में नाम आने के बाद घर खाली कर दिया है. ऐसे में यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.
क्या है मामला : करीब छह दशक से छह परिवारों द्वारा उक्त खाता खेसरा की जमीन पर खपरैल घर बनाकर सब्जी की दुकान लगायी जा रही है. उसी घर में उनका परिवार भी रहता है. इधर, रक्सौल की जमीन की कीमत बढ़ने के बाद उक्त जमीन को अपना बता कर कुछ लोग बेदखल का कई बार असफल प्रयास किये. पिछले साल गिरफ्तारियां भी हुई और एक बार मामला ठंडे बस्ते में चला गया. इधर, कुछ दिन पूर्व प्रदेश के बड़े बाहुबली से जुड़े लोग उक्त जमीन पर कब्जा करने का प्रयास करने लगे. सख्ती और साधन का खौफ दिखा कर घर से निकालने का दबाव बनाया जाने लगा. जिसके बाद पांच दुकानदारों ने एक जुलाई को एसडीपीओ राकेश कुमार को आवेदन देकर जानकारी दी कि बाहर के कई अपराधी रक्सौल आये हुए हैं और उन्हें प्रतिदिन घर खाली करने की धमकी दे रहे हैं. ऐसे लोग शहर के एक निजी होटल में ठहरे हुए हैं.
पहले पक्ष का दावा
प्रथम पक्ष के अशोक कुमार, अमरनाथ प्रसाद, उदय शंकर सोनकर, बृजेश सिंह, सुनील कुमार, शंकर साह जिनकी दुकान उक्त जमीन पर है का कहना है कि छह दशक से पूर्वजों के वक्त से उक्त जमीन पर उनकी दुकान है. उक्त जमीन बेतिया राज की जमीन है. विपक्षी 1922 में बंदोबस्त होने की बात कहते हैं, लेकिन बेतिया राज से उक्त जमीन को हरदिया कोठी के अधिकारी ड्रेक फ्लेचर को जमीन बाजार लगाने के लिए लीज पर मिला था. फ्लेचर के मरने के बाद 1939 में फिर से जमीन बेतिया राज को वापस किया गया. ऐसे में 1922 में बंदोबस्ती की बात सही नहीं है. जमीन सरकारी है.
दूसरे पक्ष की दलील
दूसरे पक्ष के शंभु सहनी का दावा है कि उक्त जमीन उनके पूर्वज रामदयाल सहनी के नाम पर बेतिया राज से 1922 में बंदोबस्ती की गयी. तब से दखल कब्जा है. इसको लेकर उन्होंने भूमि सुधार उपसमहर्ता रक्सौल के यहां एक परिवाद भी दायर किया था लेकिन भूमि सुधार उपसमहर्ता ने उन्हें न्यायालय जाकर दावा करने का निर्देश दिया. तबसे शंभु सहनी न्यायालय नहीं गये और उनके पक्ष से कई लोग जमीन पर कब्जा करने के लिए जाते रहे.

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