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विपरित परिस्थिति में काम करते पुलिसकर्मी

-कहीं छप्पर गिर रहे, कहीं दीवारों में पड़ीं दरारें -कई थाना भवन जजर्र मोतिहारीः भारत-नेपाल की सीमा पर अवस्थित पूर्वी चंपारण में आतंकी, नक्सली व आपराधिक गतिविधियां सबसे बड़ी समस्या है. एक तरफ भारत विरोधी गतिविधि खुली सीमा का फायदा उठाने की ताक में लगे रहते हैं, तो दूसरी तरफ नक्सली व अपराधी भी मौका […]

-कहीं छप्पर गिर रहे, कहीं दीवारों में पड़ीं दरारें

-कई थाना भवन जजर्र

मोतिहारीः भारत-नेपाल की सीमा पर अवस्थित पूर्वी चंपारण में आतंकी, नक्सली व आपराधिक गतिविधियां सबसे बड़ी समस्या है. एक तरफ भारत विरोधी गतिविधि खुली सीमा का फायदा उठाने की ताक में लगे रहते हैं, तो दूसरी तरफ नक्सली व अपराधी भी मौका पाकर अपनी मजबूत स्थिति का एहसास दिला जाते है.

इन्हें खत्म करने के लिए कई सुरक्षा एजेंसियां काम रही हैं. इसमें पुलिस का सबसे बड़ा योगदान रहता है, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या आतंकी, नक्सली व अपराधियों के नियंत्रित करने वाली पुलिस खुद सुरक्षित है. अगर गौर से नजर दौड़ायी जाये तो इसका जवान नहीं मिलेगा, क्योंकि आज भी पुलिस के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है. बावजूद पुलिस सीमित संसाधनों के बीच जिम्मेदारी के साथ अपनी ड्यूटी कर रही है. कहीं थाना भवन की स्थिति जजर्र है, तो कही किराये के मकान में थाना चल रहा है. कई थाने ऐसी भी है, जहां न तो हाजत है न ही मालखाना. कुछ थाने में पर्याप्त पदाधिकारी व जवान भी नहीं है. हथियार भी पुराने हैं. इस स्थिति में ड्यूटी करने वाले पुलिस पदाधिकारी व जवान अपने आप को असहाय महसूस करते हैं.

23 थाने हैं नक्सल प्रभावित

जिले में राजेपुर, पताही, फेनहारा, पकड़ीदयाल, ढाका, पचपकड़ी, चिरैया, शिकारगंज, कुंडवाचैनपुर, झरोखर, जितना, मुफस्सिल, घोड़ासहन, लखौरा, छौड़ादानो, आदापुर, दरपा, महुआवा, हरपुर, नकरदेई, पलनवा, भेलाही थाना नक्सली प्रभावित है.

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