नेपाल की नदियां पश्चिमी चंपारण में मचा रहीं तबाही

मोतिहारी : नेपाल की पहाड़ी से निकलनेवाली नदियों की उफनती धारा से पूर्वी चंपारण के 21 प्रखंडों के 20 लाख की आबादी जिंदगी और मौत से जद्दोजहद कर रही है. कहीं मौत से कोहराम मचा है, तो कहीं भूखे-प्यासे लोग राहत के इंतजार में है. करीब डेढ़ लाख पशु भी पानी में चारा के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 20, 2017 6:12 AM

मोतिहारी : नेपाल की पहाड़ी से निकलनेवाली नदियों की उफनती धारा से पूर्वी चंपारण के 21 प्रखंडों के 20 लाख की आबादी जिंदगी और मौत से जद्दोजहद कर रही है. कहीं मौत से कोहराम मचा है, तो कहीं भूखे-प्यासे लोग राहत के इंतजार में है.

करीब डेढ़ लाख पशु भी पानी में चारा के लिए चिल्ला रहे हैं, यह सब परेशानी नेपाल से निकल कर आनेवाली करीब 16 नदियों के कारण हुई है. ज्यादातर नदिया ढाका से रक्सौल तक नेपाल से आती है जिनकी संख्या 11 है. वहीं पश्चिम चंपारण में पांच नदिया बगहा व वाल्मीकिनगर में जुड़ती है. एक सप्ताह से यहां कोहराम मचा हुआ है. 12 अगस्त की रात ढाका के बलुआ गुआबारी में तटबंध टूटा, उसके बाद फुलवरिया व सपही में एक-एक कर तीन तटबंध टूटे, जहां ढाका व पताही प्रखंड में जल प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गयी.
वहां पानी घटती और स्थिति नियंत्रण में होती तब तक बूढ़ी गंडक तिलावे, सरिसवा, बंगरी, कड़िया, पसाह आदि नेपाली नदियों के उफान से
बनकटवा, छौड़ादानो, आदापुर, रक्सौल, रामगढ़वा में तबाही मची और यह तबाही धीरे-धीरे सुगौली, बंजरिया, मोतिहारी, चिरैया, पीपराकोठी, मोतिहारी शहर, मधुबन, मेहसी में अभी
तबाही मचा रही है. सिकरहना (बूढ़ी गंडक) रामनगर दोन से निकलती है, जबकि गंडक नारायणघाट नेपाल के पास से निकलती है. लालबकेया रौतहट जिला के जान नदी से मिल कर निकलती है, जो चंपारण में तबाही का कारण बन रही है.
नेपाल से 11 नदियां आती हैं पूर्वी चंपारण
पश्चिम चंपारण में छह नदियां नेपाल की
12 अगस्त की रात
से मचा है कोहराम
213 पंचायतें व 20 लाख लोग प्रभावित
1954 के बाद की सबसे बड़ी बाढ़
पताही. बागमती नदी एवं लालबकेया नदी में तो हर साल बाढ़ आती है. कुछ गांव प्रभावित होते थे. लेकिन 1954 के बाद पहली बार प्रखंड में इतनी बड़ी बाढ़ आयी है. इससे पहले 1991 एवं 1993 में भी इस प्रखंड में बाढ़ आयी थी, लेकिन इस साल के बाढ़ में प्रखंड के सभी पंचायत प्रभावित हुई है.
नेपाली नदियां व उनके मिलन स्थल
अरुणा-बनकटवा से निकल कर सरसवा घाट के पास बूढ़ी गंडक में
जान-रौतहट से निकल लालबकेया के रूप में ढाका में धारण करती है रौद्र रूप
जमुनी-बनकटवा के पास तियर नदी में व तियर बरनवाघाट के पास बूढ़ी गंडक में
पसाह-बंजरिया में चितहां के पास बूढ़ी गंडक में मिलती है.
दुधौरा व बंगरी-बंजरिया के चितहां फुलवरिया के पास बूढ़ी गंडक में मिलती है
करिया-आदापुर होकर सुगौली के पास सिकरहना बूढ़ी गंडक में मिलती है
सरिसवा व गाद-रक्सौल से निकल कर सुगौली, रामगढ़वा के पास सिकरहना में
तिलावे-भेलाही ने निकलकर रामगढ़वा के पास बूढ़ी गंडक नदी में मिलती है
गंडक-नारायणघाट से निकल कर वाल्मीकिनगर होते हुए अरेराज पहुंचती है
मसान, हरहा, पंडई आदि नदियां योगापट्टी व बगहा के पास बूढ़ी गंडक में मिल जाती है.

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