वेंटिलेटर पर है सदर का आइसीयू
मोतिहारी : दवा के अभाव में सदर अस्पताल का आइसीयू स्वयं वेंटिलेटर पर है. पिछले 14 माह से एक पैसे की दवा की खरीदारी नहीं हुई. दवा के अभाव में मरीजों की रोज मौत होती है. यहां कर्मचारी एवं मरीज दवा के लिए जूतम-पैजर. नतीजनतन आइसीयू में चिकित्सक, नर्स, कर्मचारी बैठना तक छोड़ दिये हैं. […]
मोतिहारी : दवा के अभाव में सदर अस्पताल का आइसीयू स्वयं वेंटिलेटर पर है. पिछले 14 माह से एक पैसे की दवा की खरीदारी नहीं हुई. दवा के अभाव में मरीजों की रोज मौत होती है. यहां कर्मचारी एवं मरीज दवा के लिए जूतम-पैजर. नतीजनतन आइसीयू में चिकित्सक, नर्स, कर्मचारी बैठना तक छोड़ दिये हैं.
जानकारी के अनुसार 2014 में तत्कालीन सिविल सर्जन डाॅ मीरा वर्मा द्वारा करोड़ों रुपये की दवा की खरीदारी के बाद घोटाला उजागर हुआ. सिविल सर्जन डाॅ प्रशांत कुमार दवा खरीदने से परहेज करते हैं. चूंकि जो दवा मीरा वर्मा ने खरीदी थी. वह मामला न्यायालय में चल रहा है. कहीं लोग दवा खरीद
घोटाले में निलंबित हो गये हैं. उसके बाद ये किसी पचड़े में नहीं फंसना चाहते हैं. नतीजतन ओपीडी में महज तीन चार दवाओं को छोड़
एक भी जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध नहीं है. कमोबेश यही स्थिति आइसीयू की भी है. अपने स्थापना काल के 14 माह बाद से दवा की कमी का दंश झेल रहा है. मरीज जब आइसीयू में मौजूद चिकित्सक एवं कर्मचारी से दवा की मांग करते हैं, तो उन्हें बाहर से दवा खरीदने को कहा जाता है, जिसको ले कई बार आइसीयू में हंगामा भी हुआ.
दवा खरीदारी की इनकी है जिम्मेवारी
सिविल सर्जन को आइसीयू, ओपीडी तथा इमरजेंसी में दवा उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी है. वहीं अस्पताल उपाधीक्षक को लेबर रूम, परिवार कल्याण ऑपरेशन, सिजेरियन एवं अस्पताल में सीमित दवा की खरीदारी की जिम्मेवारी है.
कब हुई थी आइसीयू की स्थापना
सदर अस्पताल में 15 दिसंबर 2015 को तत्कालीन डीएम अनुपम कुमार ने उद्घाटन किया था. इसके पूर्व 2008 में इसका भवन बन कर तैयार हुआ. 2010 में उपक्रम की खरीदारी हुई थी.
चार की जगह दो बेड
आइसीयू में चार बेड लगाने की योजना थी. लेकिन तत्कालीन डीएम एवं स्वास्थ्य सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने दिसंबर में इसे चालू करने का निर्देश दिया था. दो ही बेड से इसका शुभारंभ हुआ जो अभी भी चल रहा है.
आइसीयू में दवा की खरीदारी की जिम्मेवारी हमारी नहीं है.
डाॅ मनोज कुमार, डीएस, सदर अस्पताल
समय-समय पर आइसीयू में दवा की खरीदारी की जाती है.
डाॅ प्रशांत कुमार, सिविल सर्जन, पूर्वी चंपारण