स्वच्छता के लिए गांधी जी ने थामा था कुदाल

मोतिहारी : दिशा विहीन राष्ट्रीय आंदोलन को चंपारण सत्याग्रह आंदोलन ने न सिर्फ समतल जमीन पर ला दिया, बल्कि उसकी वह दिशा तय कर दी, जिस रास्ते बाद के देश को आजादी मिली. 30 जनवरी को उनके शहादत दिवस पर सभी उन्हें याद करेंगे, धुन बजेगी. ईश्वर अल्लाह तेराे नाम सबको सन्मति दे भगवान. लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2018 5:46 AM

मोतिहारी : दिशा विहीन राष्ट्रीय आंदोलन को चंपारण सत्याग्रह आंदोलन ने न सिर्फ समतल जमीन पर ला दिया, बल्कि उसकी वह दिशा तय कर दी, जिस रास्ते बाद के देश को आजादी मिली.

30 जनवरी को उनके शहादत दिवस पर सभी उन्हें याद करेंगे, धुन बजेगी. ईश्वर अल्लाह तेराे नाम सबको सन्मति दे भगवान. लेकिन महात्मा गांधी ने जिस क्षेत्र (ढाका बड़हरवा लखनसेन) से स्वच्छता अभियान की शुरुआत कर देश में पहली शिक्षा के आंदोलन की सफलता का मूल मंत्र दिया था, वहां की स्थिति आज भी संतोषजनक नहीं है. 13 नवंबर 1917 को देश के पहले स्कूल की स्थापना बड़हरवा लखनसेन में की, जो मोतिहारी से 36 किमी पूरब अवस्थित है.
गरीबी अशिक्षा के खिलाफ छेड़ा था जंग : स्कूल स्थापना के बाद अंग्रेज निलहा जमींदारों के साथ-साथ गरीब और अशिक्षा के खिलाफ भी संघर्ष छेड़ा गया. संघर्ष मुकाम हासिल किया. इस दौरान बड़हरवा लखनसेन प्रवास के दौरान पताही, पदुमकेर, नोनफरवा, तेलहारा, मधुबनी आश्रम, भेलवाकोठी आदि गांवों का भ्रमण कर निलहों के अत्याचार को नजदीक से देख लोगों को गोलबंद किया था. वहां उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी, सहयोगी इंजीनियर बबन गोखले, श्रीमती अवंतिका, छोटेलाल भाई, देवदास गांधी, डाॅ राजेंद्र प्रसाद सरीखे लोगों ने यहां से शुरू सत्याग्रह को मजबूती दी.
गांव वालों व स्कूल के बच्चों के साथ सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सामूहिक स्वच्छता पर अभियान चलाया गया. गांधी जी स्वयं झाड़ू देते, टोकरी व कुदाल से तालाब किनारे मल-मूत्र सफाई कर लोगों में जागृति लायी, जो वर्तमान में देश के लिए स्वच्छता अभियान बन गया है. तालाब आज भी उपेक्षित है. किसानों को नहरों से पानी नहीं मिल रही है. भले ही स्कूल को मैट्रिक तक अपग्रेड कर सौंदर्यीकरण के नाम 26 लाख खर्च किये गये हो, लेकिन किसान आज भी बदहाल है.
ढाका बड़हरवा में गांधी जी ने दिया था शिक्षा व स्वच्छता का संदेश
शहादत पर आज बजेंगे ईश्वर अल्लाह…
लेकिन उपेक्षा से क्षेत्र के लोग परेशान
नहरों में दशकों से पानी नहीं, अधिकारी अनजान
बड़े नेताअों का हो चुका है दौरा
28 मई 1988 को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने बापू की प्रतिमा का किया था शिलान्यास
31 अक्तूबर 1991 को बापू के पौत्र राजमोहन गांधी ने प्रतिमा का किया था अनावरण
आठ मई 1989 को बड़हरवा को आदर्श गांव बनाने का आदेश हुआ था पारित
सीएम नीतीश कुमार का पूर्व में हो चुका है दौरा
शहादत इनकी भी
आंदोलन के दौरान शहीद हुए राजेश्वर मिश्र, गणेश राव (पुरानी गुदरी), गणेश राय (घुरवा), भागवत उपाध्याय (बेतिया), जगन्नाथपुरी (लौकरिया), फौजदार अहीर गोड़ा (सेमरा), भिखारी कोइरी (बेतिया), रामअवतार साह (मेहसी), केसलाल राउत (मेहसी), द्वारिका कहार (श्रीपुर घोड़ासहन), हरि ठाकुर (चमही), भिखारी राय (चंद्रहिया), रामसेवक कुंवर (भगहां), लखन पासवान (बसंतपुर), लक्ष्मण दास (घोड़ासहन) आदि शामिल हैं.

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