पूर्व डीआइजी सहित दो एसएसपी, एक एसपी व दो डीएसपी की मिलीभगत आयी सामने
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नेपाल में सोना तस्करी के बड़े रैकेट का खुलासा
पूर्व डीआइजी सहित दो एसएसपी, एक एसपी व दो डीएसपी की मिलीभगत आयी सामने नेपाल सरकार के द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा नेपाल सोना पहुंचने के बाद भारतीय बाजारों में भेजा जाता था तस्करी का सोना रक्सौल : खाड़ी देशों से नेपाल होकर भारतीय बाजार में सोना तस्करी का रैकेट काफी बड़ा है. […]
नेपाल सरकार के द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा
नेपाल सोना पहुंचने के बाद भारतीय बाजारों में भेजा जाता था तस्करी का सोना
रक्सौल : खाड़ी देशों से नेपाल होकर भारतीय बाजार में सोना तस्करी का रैकेट काफी बड़ा है. नेपाल में बैठे गोल्ड स्मलिंग के सिंडिकेट बड़े अधिकारियों को मैनेज कर सोने की तस्करी कराते हैं. ऐसा सुना जाता था, लेकिन शुक्रवार को नेपाल सरकार की एक कमेटी रिपोर्ट ने इस बात को मुहर लगा दी है. कमेटी की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुये हैं. चार सालों में नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट एक तस्करी के समूह जिसको चूड़ामणी उप्रेती उर्फ गोरे द्वारा संचालित किया जाता था,
इस समूह के द्वारा 38 क्विटंल सोने की तस्करी नेपाल के रास्ते हुयी है साथ ही मामले में कमेटी ने नेपाल पुलिस के पूर्व डीआइजी गोविंद प्रसाद निरौला, एसएसपी श्यामबहादुर खत्री, एसपी विकास राज खनाल, एसएसपी दिवेश लोहनी, डीएसपी संजय कुमार, डीएसपी प्रजीत केसी, सब इंस्पेक्टर बालकृष्ण सहित दो अन्य पुलिस जवानों को अब तक गिरफ्तार किया गया है और जांच की जा रही है.
421 बार में आया 38 क्विटंल सोना
कमेटी ने जो रिर्पोट सौंपी उसे विभिन्न स्थानों से प्राप्त रजिस्टर के हिसाब से जोड़ा गया है. गोरे समूह पर चली जांच के दौरान मिले रजिस्टर से यह पता चला है कि बीते चार सालों में 421 बार में 38 क्विटंल सोना खाड़ी देशों से नेपाल आया है. नेपाल सोना आने के बाद उसे यहां के तस्करों के माध्यम से भारतीय बाजारों में पहुंचा दिया जाता था. बरामद रजिस्टर में सोना मंगाने वाले व्यक्ति का नाम, सोना लाने वाले व्यक्ति का नाम, सोने का वजन, पैसा व उसको तस्करी करके ले जाने तस्कर के नाम का उल्लेख है.
पुलिस का पैसा ‘मामा’ के नाम पर इंट्री
गोरे समूह के द्वारा पुलिस को मामा नाम से संबोधित करते हुए तस्करी के रैकेट में शामिल अधिकारियों को दिये गये पैसे का जिक्र किया गया है. इसके लिए एक अलग से डायरी रखी गयी थी. जिसमें सोना तस्करी के एवज में पुलिस अधिकारियों को समय-समय पर दी जाने वाली पैसे का जिक्र है. डायरी के अनुसार चाल साल में पुलिस अधिकारियों को सेटिंग के नाम पर दो करोड़ 20 लाख 77 हजार रुपये दिये गये हैं. इसमें शामिल अधिकारियों को कब-कब कितना-कितना पैसा दिया गया है. इसका भी उल्लेख है.
ऐसे होती थी सोने की तस्करी
कमेटी के द्वारा की गयी पूछताछ में यह खुलासा हुआ है कि खाड़ी देशों से विमान के माध्यम से काठमांडू सोना पहुंचने के बाद तस्करी के रैकेट में शामिल वरीय पुलिस अधिकारी खुद सोने को बाहर निकालते थे. तत्कालीन एसएसपी श्याम बहादुर खत्री ड्राइवर पुलिस जवान विष्णु बहादुर ने बताया कि तस्करी का सोना कभी एसएसपी की गाड़ी से, तो कभी डीएसपी की गाड़ी से एयरपोर्ट से बाहर निकाला जाता था. विदेश से सोना पहुंचने के बाद सोना लानेवाले व्यक्ति को खुद एयरपाेर्ट सुरक्षा में तैनात डीएसपी संजय राउत, प्रजीत केसी तो कभी-कभी खुद एसपी विकास राज खनाल इमिग्रेशन के बाद अपने साथ लेकर निकलते थे. इसके बाद तस्कर को डीआइजी ऑफिस ले जाया जाता था, जहां पर डीआइजी और एसएसपी मौजूद होते थे. इसके बाद अधिकारियों की गाड़ी से सोने को भेज दिया जाता था.
ऐसे पकड़ी गयी थी चोरी
पांच जनवरी 2017 को काठमांडू एयरपोर्ट से सोना निकलने के बाद नेपाल सीआइबी टीम के द्वारा सोना जब्त कर लिया गया था. इस दौरान 33.5 किलो सोना बरामद हुआ था. जिसके बाद नेपाल सरकार ने इसकी जांच के लिए कमिटी का गठन किया था. सीआइबी नेपाल के सहयोग से कमिटी के द्वारा जांच पूरी की गयी और फिर इस बड़े रैकेट का खुलासा हो सका है. इस मामले में सभी आरोपी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.
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