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पांच हजार में बच्चों का सौदा

मोतिहारी : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पूर्वी चंपारण जिले के विभिन्न क्षेत्रों से इन दिनों बच्चों की तस्करी धड़ल्ले से जारी है. देश के विभिन्न महानगरों बंगलौर, दिल्ली व मुंबई के बैग फैक्ट्रियों में काम कराने के लिए बच्चों को ले जाया जा रहा है. फैक्ट्रियों में उनसे पर्स बनाने का काम अधिक लिया जाता […]

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मोतिहारी : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पूर्वी चंपारण जिले के विभिन्न क्षेत्रों से इन दिनों बच्चों की तस्करी धड़ल्ले से जारी है. देश के विभिन्न महानगरों बंगलौर, दिल्ली व मुंबई के बैग फैक्ट्रियों में काम कराने के लिए बच्चों को ले जाया जा रहा है. फैक्ट्रियों में उनसे पर्स बनाने का काम अधिक लिया जाता है. दलाल शहर से लेकर गावों तक सक्रिय हैं और अभिभावकों को 5 से 10 हजार रुपये देकर बच्चों का बचपना खरीद रहे हैं और उन्हें अपने साथ ले जा रहे हैं. पिछले माह विमुक्त कराये गये बच्चों से सीडब्लूसी द्वारा की गयी काउंसेलिंग व दर्ज किये गये बयान में यह सब खुलासा हुआ है. यह भी तथ्य सामने आया है कि बच्चे अपने नर्म हाथों से अधिक काम निकालते हैं जिससे कारोबारी को अधिक लाभ मिलता है.
गरीबी व अशिक्षा का उठाते हैं लाभ
कारोबारी गरीबी व अशिक्षा का लाभ उठाने में कामयाब होते हैं. जिले के ढ़ाका, चिरैया, बंजरिया, मधुबन, आदापुर, रक्सौल, बनकटवा आदि प्रखंडों के गावों में जाते हैं और पहले अभिभावकों को सुनहारा सपना दिखाते हैं. बात जम बन जाती है तब कुछ रुपये एडवांस देकर वहां से चले जाते हैं और मुनासिब समय निकालकर आते हैं व अपने साथ ले जाते हैं.
जानवरों से भी बदतर होता है व्यवहार
बच्चों से वहां जानवरों से भी बदतर व्यवहार होता है. मालिक की उनपर हमेशा नजर रहती है और काम में थोड़ा भी इधर-उधर होने पर जमकर पिटाई भी की जाती है. उन्हें घर से निकलने की इजाजत नही होती और जिस रूम में वे काम करते हैं वहीं फर्श पर उन्हें सोना पड़ता है. खाना भी वहीं खाना पड़ता है. इसका विरोध करने वाले बच्चों के साथ अमानवीय बरताव किया जाता है.
नहीं पकड़े जाते तस्कर
विभिन्न क्षेत्रों रेलवे स्टेशनों, ट्रेनों व अन्य इलाकों में छापेमारी के दौरान बच्चे तो मिल जाते हैं लेकिन तस्कर नही मिलते. या तो तस्कर भाग जाते हैं या साजिश रचकर भगा दिये जाते हैं. विभिन्न स्वंय सेवी संगठनों द्वारा की गयी छापेमारी में ऐसा कई बार देखने का मिला है जहां केवल बच्चे ही मिले हैं. बच्चों को सीडब्लूसी में लाया गया है और कांउसलिंग के बाद चाइल्ड होम में भेज दिया जाता है.
देश की आर्थिक राजधानी के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली मुंबई, दिल्ली व बेंगलुरु आदि महानगरों से पिछले दो माह में 55 बच्चे विभिन्न संगठनों द्वारा चलाये गये अभियान में विमुक्त किये गये गये हैं. मुंबई से 24, दिल्ली से 26 व हैदारबाद से पांच बच्चे लाये गये हैं. इन बच्चों को मोतिहारी लाया गया जहां पूछताछ में भी पर्स बनाने की बात बच्चों ने स्वीकारी थी. पिछले वर्ष भी इन महानगरों से बच्चे विमुक्त हुए थे.

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