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चंपारण में खुलेगा महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय

मोतिहारीः चंपारण में खुलने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालय का नाम अब महात्मा गांधी के नाम पर होगा. उत्तर बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय की जगह महात्मा गांधी के नाम की स्वीकृति मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने दे दी है. इसके साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थापना में लगा वैद्यानिक पेंच भी संसद के अगले बैठक में समाप्त […]

मोतिहारीः चंपारण में खुलने वाले केंद्रीय विश्वविद्यालय का नाम अब महात्मा गांधी के नाम पर होगा. उत्तर बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय की जगह महात्मा गांधी के नाम की स्वीकृति मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने दे दी है. इसके साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थापना में लगा वैद्यानिक पेंच भी संसद के अगले बैठक में समाप्त हो जायेगा. संसद में इससे संबंधित विधेयक पेश किया जायेगा.

चंपारण में केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थापना की मांग पुरानी है. 20 नवंबर 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोतिहारी अभियंत्रण महाविद्यालय के उद्घाटन के दौरान महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए प्रयास की बात कही थी. छह नवंबर 2009 को केंद्रीय टीम ने स्थल निरीक्षण किया था. इसमें केंद्रीय मानव संसाधन विभाग के सचिव सुनील कुमार व केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति जनक पांडेय भी शामिल थे. श्री पांडेय ने इस स्थल को योग्य नहीं माना था. इस पेंच के बाद मामला अधर में लटकता दिखाई दे रहा था.

जुलाई 2010 में स्थानीय लोगों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय संघर्ष मोर्चा का गठन किया गया. 21 अप्रैल 2012 को दिल्ली के जंतर मंतर पर सांसद राधामोहन सिंह की अगुआई में प्रदर्शन हुआ था, जिसमें बिहार ने 26 सांसदों ने भाग लिया था. अगस्त 2012 में कैबिनेट ने बिहार में केंद्रीय विश्व विद्यालय खोलने की स्वीकृति दे दी गयी, लेकिन गया व पूर्वी चंपारण दो स्थलों पर केविवि खोलने का मसला विवाद का कारण बना. उस समय विवि को उत्तर बिहार व दक्षिण बिहार का नाम दिया गया. बाद में इसे केंद्रीय मानव संसाधन विभाग ने मॉनीटरिंग कमेटी को भेज दिया था.

जिसे जुलाई 2013 में मॉनीटरिंग कमेटी ने विभाग को वापस भेज दिया. सूबे में दो जगह केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने के लिए संसद के मंजूरी की आवश्यकता थी, जहां यह मामला साल भर से अटका हुआ था. इसके बाद से हीं केविवि का नामकरण महात्मा गांधी के नाम पर करने की मांग होती रही. कई आंदोलन भी हुए. लेकिन मामला अधर में लटका रहा. 2014 के लोस चुनाव में जीतने के बाद स्थानीय सांसद ने वादा किया था कि सबसे पहले मंत्रिमंडल की बैठक में महात्मा गांधी केविवि की स्वीकृति कराऊंगा. जिस पर उन्होंने काम शुरू कर दिया है. इस संदर्भ में 27 मई को स्थानीय विधायक ने भी पीएमओ में एक अनुरोध पत्र दिया था कि चंपारण में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की स्वीकृति दी जाये. स्थानीय सांसद व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने अपने फेसबुक पर भी महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के नामकरण की स्वीकृति की सूचना दी है.

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