12 साल से लालबकेया नदी पर पुल निर्माण का फंसा है पेच
2007 की बाढ़ में ध्वस्त हो गया था लोहे का पुल बरसात के दिनों में नाव ही होता है लोगों का सहारा नाव दुर्घटना में मौत से सबक नहीं लिया प्रशासन सिकरहना : मामूली बारिश पर कहर ढानेवाली लालबकेया नदी में तत्कालीन सांसद अनवारूल हक द्वारा वर्ष 2007 में लोहे के स्क्रू पाइप पुल का […]
2007 की बाढ़ में ध्वस्त हो गया था लोहे का पुल
बरसात के दिनों में नाव ही होता है लोगों का सहारा
नाव दुर्घटना में मौत से सबक नहीं लिया प्रशासन
सिकरहना : मामूली बारिश पर कहर ढानेवाली लालबकेया नदी में तत्कालीन सांसद अनवारूल हक द्वारा वर्ष 2007 में लोहे के स्क्रू पाइप पुल का निर्माण कराया गया, लेकिन वह लालबकेया नदी के उफनती धारा को बर्दाश्त नहीं कर सका. पुल का आधा हिस्सा वर्ष 2007 में नदी में बाढ़ से पुल का एक हिस्सा बह गया.
स्थानीय लोगों द्वारा यहां पक्के पुल की मांग की गयी. सरकार ने यहां पुल निर्माण की स्वीकृति दी और वर्ष 14 में बड़े जोर शोर से आरके गर्ग कंस्ट्रशन कंपनी द्वारा पक्के पुल निर्माण का कार्य शुरू किया गया. विभागीय उदासीनता व कुछ तकनीकी कारणों से पिछले दो सालों से पुल निर्माण कार्य ठप है.
फुलवरिया घाट पर पुल निर्माण नहीं होने से बरसात में तो यातायात बाधित ही रहती है. लोगों को सिर्फ नाव ही सहारा रहता है. अंतर्राष्ट्रीय महत्व के इस मार्ग की उपेक्षा पर लोगों में काफी आक्रोश है. इसके लिए जनप्रतिनिधियों सहित सरकारी तंत्र को कोसते हैं. इस चुनाव में भी लोग फुलवरिया घाट पुल निर्माण की मांग भावी जनप्रतिनिधियों के समक्ष रख रहे हैं.
चकिया से चोरमा ढाका होकर बैरगनिया नेपाल को जोड़नेवाली भारतमाला सड़क योजना में भी फुलवरिया घाट पर पुल प्रस्तावित है. सड़क निर्माण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि आधा अधूरा पुल पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन आता है. अगर विभाग बनाती है, तो ठीक है अन्यथा भारतमाला योजना को लिखित हैंडओवर कर दे, तो पुल का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत किया जायेगा, जो अब तक विभागीय पेंच में फंसा हुआ है.