* शुरुआती मॉनसूनी बारिश में ही शहर के अधिकांश इलाकों में जलजमाव
मोतिहारी : शुरुआती मॉनसूनी बारिश में ही नगर परिषद की तैयारियों की पोल खुल गयी है. रविवार को लगभग एक घंटे तक बारिश होती रही. इस दौरान शहर के लगभग सभी सड़कों, गली व मुहल्लों में जलजमाव हो गया. सर्वाधिक जल जमाव चंदवारी, आजाद नगर, भवानीपुर जरात, श्रीकृष्ण नगर, गायत्री नगर व अगरवा में हुआ. इससे लोगों को काफी परेशानी हुई.
* वर्षा से जलस्तर में वृद्धि
मोतिहारी : रविवार को हुई वर्षा से बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि हुई है. सिकरहना तटबंध प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ई. वाई पी सिंह ने बताया कि वर्षा से जल स्तर में वृद्धि हुई है. हालांकि, जलस्तर अभी भी खतरे के निशान से काफी नीचे है. उन्होंने बताया कि चनपटिया में नदी जल स्तर 70.4 है जबकि यहां खतरा का निशान 73.4 है. यहां रविवार को 3.2 एमएम वर्षा हुई है.
वहीं, लालबेगिया घाट का जल स्तर 57.75 मीटर है जबकि खतरा का निशान 63.20 है. यहां रविवार को 12.4 एमएम वर्षा हुई है. इसी प्रकार अहिरौलिया का जल स्तर 54.36 है. यहां रविवार को 2.2 एमएम वर्षा हुई है जबकि सिकदरपुर में नदी का जल स्तर 48.37 है, जो खतरा निशान से नीचे है.
* बारिश से खिला किसानों का चेहरा
मोतिहारी : जिले में रविवार दोपहर बारिश से किसानों के चेहरे खिल गये हैं. तेज रफ्तार से हुई करीब आधे घंटे की वर्षा से किसानों के लिए सिंचाई की समस्या फिलहाल पूरी हो गयी है. इस बारिश से किसानों को आर्थिक लाभ हुआ है. कृषि वैज्ञानिक भी इस वर्षा को खेती के लिए उपयुक्त बता रहे है.
कृषि परामर्शी डॉ मुकेश कुमार बताते हैं कि वारिस से बिचड़े को काफी फायदा हुआ है. हरी खाद के लिए खेतों में लगाये गये ढैंचा व मूंग को सड़ाने में भी किसानों को लाभ मिलेगा. बताया कि बारिश से टैम्परेचर कम होगा. इससे खेतों में गिराये गये बिचड़े की जमावट शत प्रतिशत होगी. उन्होंने गिराये गये आवश्यकता से अधिक जलजमाव होने पर पानी को नर्सरी से निकाल देने की नसीहत किसानों को दिया है. बताया कि पौधशाला में अधिक जल जमाव से पौधा तेजी से बढेगा. इससे पौधा के कमजोर होने की शिकायत बढ जाती है.
वहीं, हरी खाद के लिए खेतों में लगे मूंग व ढैंचा के पौधों को खेतों की जुताई कर पट देने की सलाह किसानों को दिया है. कहा कि बारिश की पानी को खेतों में रोक कर रखे, और जुताई करें. इससे ढैंचा व मूंग जल्दी से सड़ेंगे.