बनने के दो वर्ष बाद ही टूटने लगीं सड़कें
सिकरहनाः कहिओं इसे सड़कवा सरकार के बनइलस. आ अब इहे सड़कवा सरकार के धंसइबो करी. सिकरहना अनुमंडल की टूट रही सड़कों की स्थिति देख कर यह दर्द बयान कर रहे हैं यहां के ग्रामीण. चिरैया प्रखंड के खड़तरी ग्रामवासी दया शंकर सिंह ने अलग अलग सड़कों की स्थिति के बारे में बताया कि सड़कों के […]
सिकरहनाः कहिओं इसे सड़कवा सरकार के बनइलस. आ अब इहे सड़कवा सरकार के धंसइबो करी. सिकरहना अनुमंडल की टूट रही सड़कों की स्थिति देख कर यह दर्द बयान कर रहे हैं यहां के ग्रामीण.
चिरैया प्रखंड के खड़तरी ग्रामवासी दया शंकर सिंह ने अलग अलग सड़कों की स्थिति के बारे में बताया कि सड़कों के निर्माण के समय यह बताया गया कि सड़क निर्माण के पांच साल बाद तक संबंधित सड़क निर्माणकर्ता एजेंसियां इन सड़कों की मरम्मत एवं देख रेख करेगी. अभी सड़क निर्माण के दो वर्ष भी पूरे नहीं हुए है कि सड़कों का टूटना शुरू हो गया है. सड़क निर्माण एजेंसियों का अता पता तक नहीं है. ऐसी कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड भी किया गया. परंतु आम जनता को कुछ नही मिला.
ढाका प्रखंड के मैसौढा ग्रामवासी महादेव पंडित ने कहा कि नयी सड़कों पर भी वाहन मालिक आम नागरिकों से पुराना किराया ही वसूल करते है. वह भी मनमाना किराया पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. आम जनता यहां भी त्रस्त है.
घोड़ासहन प्रखंड के बसंतपुर ग्रामवासी ब्रजेश कुमार ग्रामीण सड़कों पर धड़ल्ले से चल रही ओवर लोडेड माल वाहन गाड़ियों पर सरकारी नियंत्रण न होने की परेशानियों से त्रस्त है. इनका कहना है ओवरलोडेड गाड़ियां सड़कों को समय से पूर्व बरबाद कर दे रही है. परंतु इधर भी सरकार का ध्यान नहीं है. कुल मिला कर मरम्मत, देख रेख, मनमाना भाड़ा, ओवर लोडिंग जैसी समस्याओं से यदि सरकार समय रहते चेत जाती है, तो जनता का बहुत सारी समस्याओं का समाधान हो जायेगा.